रंजीत कुमार
रांची : कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर झारखंड सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है. इसके साथ ही खुलने की आस लगाए बैठे राज्य भर के कोचिंग संस्थान के संचालकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
राज्य बनने के साथ ही राजधानी रांची के व्यवसायिक भवनों के किराये में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि देखने मिली. साथ ही, सिक्योरिटी मनी के तौर पर भी मोटी रकम का जमा कराने का प्रचलन आरम्भ हुआ.
रांची में कोचिंग संस्थानों का औसत किराया 50 हजार के लगभग है, वहीं सिक्योरिटी मनी 3 से 5 लाख तक है. कुछ बड़े संस्थानों का खर्च इससे भी कहीं ज्यादा है. लॉकडाउन से पहले भी कोचिंग संस्थान बोझ से दबे हुए थे, लेकिन वे किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे थे. अब कोरोना ने उनका संकट कई गुणा ज्यादा बढ़ा दिया है.
लॉकडाउन की शुरुआत से ही संस्थान पूरी तरह बंद हैं. तब से इनकी आमदनी शून्य है. कुछ संस्थानों ने ऑनलाइन क्लास चलाने का भी प्रयास किया, एकाध बड़े संस्थानों को छोड़ यह प्रयोग असफल रहा.
कोचिंग संचालकों ने बताया कि अगर 31 जुलाई के बाद संस्थान खोलने की इजाजत मिल भी जाती है तब भी ऐसी संभावना है कि अभिभावक इस साल के अंत तक अपने बच्चों को पढ़ने भेजेंगे। ऐसे में कोचिंग संचालक, शिक्षकों और उनसे जुड़े लोगों के सामने रोजी- रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
दूसरी परेशानी यह है कि कई मकान मालिकों द्वारा कोचिंग संचालकों पर किराया के लिए दवाब बनाया जा रहा है, जिनसे उनको मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है.
कोचिंग संचालकों का कहना है कि उनके सामने दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है, तब वे भारी- भरकम किराया कहां से दे पाएंगे. कुछ मकान मालिकों की तरफ से कोचिंग खाली करने को भी कहा जा रहा है. प्रतिष्ठान में रखे समान और सिक्योरिटी मनी जब्त करने की धमकी भी दी जा रही है. संचालकों का कहना है कि जब संस्थान कोरोना संकट के कारण औसतन 5 लाख रुपये के घाटे में हो. राज्य में लॉकडाउन चल रहा हो. तब संस्थान खाली करने को कहना न्यायसंगत नहीं है.
झारखंड कोचिंग संघ के अध्यक्ष सुनील जायसवाल और उनके पदाधिकारियों के द्वारा शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो को ज्ञापन दिया गया. उन्हेंक कोचिंग संचालकों की परेशानियों से अवगत कराया गया है. संघ को उम्मीद है सरकार उनके हितों का ध्यान रखेगी. यदि झारखंड को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाना है तो सरकार को चाहिए कि कोचिंग संचालकों की परेशानियों को समझे और उसका निदान करे.