नीता शेखर,
रांची: बेरोजगारी किसी भी देश की प्रगति में बाधा है. हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या काफी दिनों से चली आ रही है. भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है. शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी व्यक्तिगत और सामाजिक स्थिति पर भी एक साथ कई नकारात्मक प्रभाव डालती है.
अभी तो बेरोजगारी की स्थिति सुधरी भी नहीं है. इस बीच कोरोना वायरस ने आकर बेरोजगारी की स्थिति और भी गंभीर बना दिया है. लॉकडाउन की वजह से रोज खाने कमाने वाले मजदूरों का रोजगार भी छिन गया है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमिक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन की वजह से पिछले 1 सप्ताह में बेरोजगारी की समस्या बहुत तेजी से बढ़ी है. उसके अनुसार पूरे देश में यह बढ़कर 4% हो गई है.
लॉकडाउन जारी रहने से स्थिति बहुत भयावह हो जाएगी. हमारा देश कृषि प्रधान है. आज फसलें तैयार है, लेकिन फसल काटने के लिए मजदूर नहीं हैं. अगर यही स्थिति रही तो फसल भी बर्बाद हो जाएगी.
कोरोना वायरस का लंबा दौर चला तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो जाएगी. अभी तो शासन का सारा जोर लॉकडाउन पर है. यह आज की स्थिति के लिए जरूरी भी है. आज जीवन की रक्षा भी जरूरी है, पर जीवन के साथ जीविका की रक्षा नहीं होगी तो बीमारी से बचकर भी लाखों लोग तबाह हो जाएंगे.
करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. ग्रामीण भारत में गरीब परिवार जिंदा रहने के लिए खेती-मजदूरी पर निर्भर हैं, पर आज की स्थिति में वे बाहर नहीं जा पा रहे हैं.
यह सर्वविदित है कि फलों को काटने के लिए प्रवासी मजदूरों की जरूरत पड़ती है. बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश से प्रवासी मजदूर फसल काटने के लिए बुलाये जाते हैं. आज की स्थिति में वे भी बाहर नहीं जा सकते हैं. आवाजाही पर लगी रोक के कारण स्थानीय मजदूर गांव के भीतर ही खेतिहर मजदूरों के तौर पर काम कर रहे हैं.
पूर्व में ग्रामीण रोजगार योजना में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे थे. कोरोना वायरस की वजह से सब काम ठप हैं. इससे मजदूर तबका सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आंगनबाड़ी, परिवहन और बाजार जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुंच पाना पूरी तरह से बाधित हो रहा है. लॉकडाउन यदि आगे भी जारी रहा तो इनसे भी भयावह स्थिति देखने को मिल सकती है.
पहले से भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या है. अब ग्रामीण मजदूर, रोज मजदूरी करने वाले भी बेरोजगारी की स्थिति में पहुंच गए हैं. अगर यही हाल रहा तो देश की स्थिति सुधरने के बजाय और बदतर होती जाएगी. इसके लिए सभी को मिलकर, एक साथ सोच विचार करना होगा.
इसके लिए सरकार को भी कड़े कदम उठाने होंगे. नहीं तो देश की बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जाएगी. फिर इसे नियंत्रित करना काफी कठिन हो जायेगा.