पेइचिंगः दुनिभर में भारत अमेरिका की दोस्ती के चर्चे हैं. एक ओर जहां अमेरिका ने हउडी मोदी का आयोजन कर भारत से नए मित्रवत संबंधों की शुरुआत की वहीं भारत ने नमस्ते ट्रंप का आयोजन कर मित्रता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर हैं. भारत में उनके भव्य स्वागत के बीच चीन की निगाहें भी ट्रंप और मोदी की दोस्ती पर टिकी हैं. चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्ते को ‘चीन को रोकने की कोशिश’ बताते हुए कहा है कि वे इसे खुशी से नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
बता दें कि ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि डॉनल्ड ट्रंप भारत का दौरा करने वाले सातवें और लगातार चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. यह दौरा अमेरिका की ओर से नई दिल्ली को दिए जाने वाले भू-राजनैतिक महत्व को दर्शाता है.
अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए चीन के पड़ोसियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. लेख में कहा गया है कि कुछ चाइनीज अमेरिका के हिंद-प्रशांत रणनीति को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन अमेरिका ने चीन को रोकने का कोई प्रयास छोड़ा नहीं है.
इसलिए पेइचिंगा को इस पर ध्यान देना चाहिए. अमेरिका चीन को ‘प्रतिद्वंद्वी शक्ति’ मानता है और यह निकट भविष्य में बदलने नहीं जा रहा है. इसलिए हाल के सालों में अमेरिका के कई कदम इसी रुख पर आधारित रहे हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत और इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका नई दिल्ली के साथ सहयोग बढ़ाने में जुटा है. चीन ने भारत की गुटनिरपेक्ष नीति का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत-चीन के रिश्ते में कुछ मतभेद हैं और कई भारतीय चीन को लेकर सजग रहते हैं.
इसलिए मौजूदा परिदृश्य में यदि चीन-भारत संबंध आगे नहीं बढ़ा तो अमेरिका को भारत को अधिक प्रभावित करने का मौका मिलेगा. भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और हथियारों की खरीद का जिक्र करते हुए कहा गया है कि दोनों देशों के बीच रक्षा खरीद बढ़ रहा है.
2008 में जहां दोनों देशों के बीच रक्षा खरीद नगण्य था वह 2019 तक 15 अरब डॉलर का हो चुका है. ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि कुछ विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप के भारत दौरे का लक्ष्य केवल हथियार बेचना है, लेकिन वह केवल पैसे नहीं चाहते हैं.
ट्रंप रियल एस्टेट कारोबारी हैं पर वह छोटे लालच में नहीं पड़ते, बल्कि वैश्विक रिश्तों को नया आयाम देने पर जोर दे रहे हैं, जोकि अमेरिका के हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है. ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि अमेरिका ने भारत को कभी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर नहीं देखा है, वह इसे एशिया में बैलेंस के टूल के रूप में देखता है.
नई दिल्ली के साथ अमेरिका का असली हित पेइचिंग को रोकना है. इसलिए चीन और भारत के साथ टैरिफ वॉर के बावजूद ट्रंप ने सितंबर 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका में गर्मजोशी से स्वागत किया था. अंतरराष्ट्रीय स्थिति बदल रही है, इसलिए चीन इसे हल्के में नहीं ले सकता है.