रांचीः डीवीसी के बकाये को लेकर एक तरफ खिच-खिच जारी है. राज्य सरकार ने त्रिपक्षीय समझौते से हटने का भी निर्णय ले लिया है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार को अब टीवीएनएल का बकाया परेशान करने वाला है.
टीवीएनएल का झारखंड राज्य बिजली वितरण पर 3550 करोड़ का बकाया है और हर दिन यह बकाया बढ़ता जा रहा है. पिछले छह महीने में टीवीएनएल ने अपने बकाये को लेकर झारखडं राज्य बिजली वितरण को चार बार पत्र लिखा है. पत्र का मजमून कुछ इस प्रकार है जैसे मानो वह बिजली बिल का बकाया नहीं बल्कि अपने भुगतान के लिए वह बिजली वितरण से चिरौरी कर रहा हो.
दरअसल, टीवीएनएल राज्य सरकार की ही ईकाई है. लिहाजा बिजली लेने के बदले उसका भुगतान करना बिजली वितरण अपना धर्म नहीं समझता. स्थिति ऐसी है कि टीवीएनएल को बिजली उत्पादन के लिए कई बार कोयला नहीं मिल पाता.
बिजली वितरण निगम लिमिटेड हर महीने टीवीएनएल से 46 करोड़ की बिजली खरीदता है, लेकिन बदले में उसे बिजली वितरण निगम लिमिटेड मात्र 22 करोड़ रूपये का ही भुगतान करता है लिहाजा… बकाया बढ़ते-बढ़ते 3500 करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है.
टीवीएनएल के अध्यक्ष फिलहाल उर्जा सचिव अविनाश कुमार ही हैं. लिहाजा टीवीएनएल डीवीसी के माफिक अपने भुगतान के लिए बिजली वितरण पर दवाब नहीं बना सकता.
इधर, टीवीएनएल की माली हालत भी खराब होती जा रही है. टीवीएनएल की दो ईकाई से बिजली का उपत्पादन होता है, लेकिन कोयले की कमी की वजह से वह नियमित रूप से दोनों ईकाई को चालू नहीं रख पाता. टीवीएनएल के पास यदि पर्याप्त मात्रा में कोयला मिले तो वह राज्य को 430 मेगावाट बिजली दे सकता है, लेकिन उत्पादन महज 260 मेगावाट ही हो पाता है.
दरअसल, टीवीएनएल सीसीएल से कोयला खरीदता है, टीवीएनएल पर सीसीएल का सात सौ करोड़ का बकाया है. सीसीएल ने भी टीवीएनएल से बकाये को लेकर कई बार तगादा किया है, लेकिन भुगतान नहीं मिला. लिहाजा सीसीएल ने पहले तो टीवीएनएल का रैक रोका और बाद में कैश टू कैरी स्किम लॉन्च कर दिया, यानी पैसा लाओ फिर कोयला ले जाओ.
क्या है टीवीएनएल की फैक्ट फाइल–
• टीवीएनएल की दोनों यूनिटों को चलाने के लिये हर माह 1.5 लाख टन कोयले की है जरूरत
• एक दिन में 7000 टन होती है कोयले की जरूरत
• टीवीएनएल हर महीने खरीदता है 32 करोड़ का कोयला
• एक यूनिट बिजली उत्पादन में 700 से 800 ग्राम कोयले की जरूरत
• बिजली उत्पादन के लिए जेड-8 और जेड-9 श्रेणी के कोयले का होता है उपयोग
• एक यूनिट बिजली उत्पादन में 3.50 रुपये प्रति यूनिट आता है खर्च
• एक माह में 20 करोड़ की बिजली का होता है उत्पादन
प्रति माह डीजल में 3.5 करोड़ खर्च–
• मेंटेनेंस में दो से ढ़ाई करोड़ खर्च
• कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन में हर माह लगभग छह करोड़ खर्च
• बिजली वितरण निगम हर दिन टीवीएनएल से लगभग ढ़ाई करोड़ की खरीदता है बिजली