रांची: आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है कि हमारे अन्नदाता आत्मनिर्भर हों. कृषि क्षेत्र का व्यापक विकास हो. भारत जैसे कृषि प्रधान में आजादी से आज तक कृषि क्षेत्र में जो प्रयोग हुए हैं, उसके परिणाम सामने है. आजादी के बाद पांच दशक तक राज करनेवाली कांग्रेस पार्टी के नीति निर्धारकों ने जो कृषि नीतियां बनायी, जिसके कारण कृषि में घाटा होने लगा और किसान कर्ज में डूबते चले गये. कर्ज मुक्ति के लिए आत्महत्या करने लगे.
भारत में किसान कृषि मंड़ी में अपने उत्पादन बेचने के लिए रखते हैं. दलाल, बिचौलिया उसकी पैदावार की बोली लगाते हैं. शायद विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जहां उत्पादक अपने उपादन को बाहर कहीं नहीं बेच सकता था. अब देश के किसान अपने राज्य की मंडी के अतिरिक्त कहीं भी भाव पता लगाकर बेच सकता है. तकनीक की इस दुनिया में कृषक का शोषण न हो, मुनाफा बढ़े इसकी चिंता की है मोदी जी ने. अन्नदाताओं का सशक्तिकरण न हो और बिचौलिये का बोलबाला रहे, इसके लिए कांग्रेस और कुछ विपक्षी दल किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं.
मील का पत्थर साबित होंगे बिल
मोदी सरकार ने किसानों के हित में दो महत्वपूर्ण बिल कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक, 2020 पारित किये हैं. किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश में कृषि क्षेत्र के विकास में ये दोनों बिल मील का पत्थर साबित होंगे. किसान को अभी कृषि विपणन मंडी समिति यानी एपीएमसी लाइसेंस धारकों को ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है. किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सकें उसके लिए कानून में बदलाव किया गया है. इसके तहत अब उन्हें किसी भी राज्य में अपना उत्पाद ले जाकर बेचने की छूट होगी. इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी.
किसानों के बीच यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि नये कानून लागू होने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्पष्ट किया है कि MSP की व्यवस्था पहले की तरह ही जारी रहेगी. मोदी सरकार ने किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य की कुल लागत का डेढ़ गुना ज्यादा रखने का वादा पूरा किया है.
मोदी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीजन में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की है. इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को एक लाख 13 हजार करोड़ रुपये MSP पर दिया गया है. ये राशि भी पिछले साल से 30% से ज्यादा है. मोदी सरकार और इससे पहले की सरकार की तुलना में दलहन और तिलहन की करीब 24 गुना अधिक सरकारी खरीद की गई है.
इसी प्रकार कृषि व्यापार करने वालों के सामने आवश्यक वस्तु अधिनियम के कुछ प्रावधान, हमेशा आड़े आते रहे हैं. नये संशोधनों में दाल, आलू, खाद्य तेल, प्याज जैसी चीजों को अब इस एक्ट के दायरे से बाहर कर दिया गया है.
एक लाख करोड़ रुपये का पैकेज
मोदी सरकार ने कृषि की आधारभूत सरंचना में सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कृषि आधारभूत संरचना निधि की घोषणा करते हुए बताया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी. इस फंड का इस्तेमाल फसल कटाई के बाद कृषि संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए किया जाएगा. इसकी मदद से किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज तैयार करना, कलेक्शन सेंटर बनाना, फूड प्रोसेसिंग यूनिट, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने जैसे काम किए जा सकेंगे.
इनके अलावा मोदी सरकार ने पिछले छह सालों में कृषि व कृषकों के हित के लिए कई ठोस कदम उठायें हैं. किसानों को सूदखारों से बचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि के तहत देश के 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसी प्रकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को फसल की क्षति होने पर मुआवजा मिल रहा है. किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी मिले, इसके लिए स्वॉयल हेल्थ कार्ड की शुरुआत की गयी है. इसका सकारात्मक असर दिखाई पड़ रहा है.
पशुधन को बढ़ावा देने 53 करोड़ पशुओं के टीकाकरण की योजना चल रही है. इस पर लगभग 13,343 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इससे गाय और भैंसें मुंहपका और खुरपका जैसे रोगों से मुक्त होगी. इससे देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा. साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी.
पशुओं की असमय मौत से किसान टूट जाता था. इसके लिए पशुओं का बीमा होता है, लेकिन आर्थिक कमजोरी के कारण किसान अपने पशुओं की बीमा नहीं करा पाते. इसलिए केंद्र सरकार ने किसानों के लिए पशु धन बीमा योजना पेश की है, बीमा का 50 प्रतिशत प्रीमियम केंद्र सरकार दे रहा है. सिंचाई के मामले में सुधार करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी है. इनके अलावा मत्स्य और मत्स्य पालकों के विकास के लिए योजना शुरू की गयी है.
अन्नदाताओं की जितनी चिंता मोदी सरकार ने पिछले छह सालों के दौरान की है, उतनी चिंता पहले नहीं की गयी. कृषि व कृषकों की उन्नति के लिए सरकार ने ठोस पहल की, जिनके परिणाम अब दिखने लगे हैं. यही कारण है कि किसान विपक्ष के बहकावे में नहीं आ रहे हैं. किसानों का विश्वास और समर्थन मोदी सरकार के साथ है. पिछले छह साल में मोदी सरकार ने विकास की धारा में छूटे समुदायों को शामिल करने का कार्य किया है. गरीबों को आवास देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना हो या महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए उज्जवला योजना. बेटियों को सम्मान की जिंदगी देने के लिए स्वच्छ भारत अभियान हो या 35 करोड़ लोगों के लिए जन-धन खाता खोलना. गरीबों, पिछड़ों, वंचितों, शोषितों के जीवन में बदलाव लाने वाली इन योजनाओं का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने माखौल ही उड़ाया था. इसका जवाब 2019 के चुनावों में लोगों ने दे दिया था. अब किसानों के मामले में भी कांग्रेस व विपक्षी दल मुंह की खायेंगे.