रांची: रांची में एक बड़े जमीन घोटाले की पूरी कहानी लिख दी गई है. घोटाला हुआ भी. मामला उलझता देख कोतवाली थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करा दी गई लेकिन हद तो तब हो गई जब बड़ी गड़बड़ी के लिए मामूली कर्मचारियों को आरोपी बना दिया गया. पूरा मामला आदिवासी जमीन से जुड़ा है. इसमें कई बड़े अधिकारी शामिल हैं. अब रांची पुलिस इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है हालांकि पहले ही इस पूरे मामले के अनुसंधान की दिशा ही बदल दी गई. जो मामला दर्ज हुआ उसका अनुसंधान सही ढंग से कराना पुलिस के बूते की बात ही नहीं है. कई वर्षों से चले आ रहे मामले पर 2017 में कोतवाली थाना में कांड संख्या 150 /17 दर्ज किया गया है जो निबंधन कार्यालय से जमीन से जुड़े रजिस्टर के गायब होने से संबंधित है. यह मामला पूर्व जिला अवर निबंधक राहुल कुमार चौधरी ने दर्ज करा रखा है जिसमें रात्रि प्रहरी साकिब और अनुसेवक महेंद्र उरांव व रोकना उरांव को अभियुक्त बनाया गया था. उनकी गिरफ्तारी भी हो गई है. पूरी फाइल बंद कर दी गई. अब नए सिरे से इसकी जांच हो सकती है.
क्या है मामला
रांची के आदिवासियों की जमीन को सामान्य जमीन घोषित करने के लिए अफसरों की एक टोली ने बड़ी साजिश रची. जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण रजिस्टर को गायब करवा दिया गया. निबंधन कार्यालय से वैसे तीन रजिस्टर गायब कराए गए जिनमें आदिवासियों के नाम दर्ज थे. साथ ही आदिवासियों की जमीन की रजिस्ट्री भी कर दी गई. अधिकांश रिंग रोड kathitand, पुनदाग, सिमरिया इलाके की जमीन में गड़बड़ी की गई जो रजिस्टर 1946 में जमीन की अद्यतन स्थिति से संबंधित थे.
क्या हुआ F.I.R में
अवर निबंधक के लिखित बयान पर कांड संख्या 150/17 दर्ज किया गया. 19 जून 2017 को दर्ज इस मामले में धारा 420, 467, 468, 481, 474, 167 और 34 लगाया गया. इसमें रात्रि प्रहरी और अनुसेवक नामजद अभियुक्त बनाए गए. जबकि रजिस्टर की सुरक्षा की जवाबदेही इनकी है ही नहीं. रजिस्टर चोरी करने या गायब करने का आरोप इन पर लगा कर जेल भेज दिया गया. पुलिस ने इस मामले को रफा-दफा कर दिया. अब अफसरों के सामने यह पूरा मामला आ चुका है. इसकी नए सिरे से जांच हो सकती है. सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले में निबंधन कार्यालय ने भी अपनी जांच पूरी कर ली है.
संजीवनी से भी बड़ा घोटाला हो सकता है साबित
आदिवासियों की जमीन को गड़बड़ी करने की नियत से गायब कराए गए महत्वपूर्ण रजिस्टर के मामले में दर्ज f.i.r. के तहत नए सिरे से यदि अनुसंधान हुआ तो कई बड़े अफसर बेनकाब होंगे. साथ ही रांची के आदिवासियों को भी इंसाफ मिलेगा और यह गड़बड़ी संजीवनी जमीन घोटाले को भी पीछे छोड़ देगी.