नीता शेखर,
रांची: लॉकडाउन में महिलाओं ने भी बोरियत दूर करने के लिए अनोखा रास्ता अख्तियार कर लिया है. किटी पार्टी, रेस्तरां, क्लब से दूर महिलाओं ने व्हाट्सएप ग्रुप में टाइमपास का एक नया जरिया खोज लिया है. इसमें क्लब की मेंबर या ग्रुप के सदस्यों के बीच अंतराक्षरी और तंबोला खू खेला जा रहा है. टाइमपास के साथ मनोरंजन भी. बोरियत का एहसास भी नहीं.
इतना ही नहीं क्लब की महिलाओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी शुरू कर दी हैं. जिसमें पेंटिंग, कविताएं, रेसिपी सहित अन्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं. व्हाट्सएप पर वॉयस रिकार्डिंग करके गान भेजना भी एक नई शुरूआत की गई है. ग्रप में ही विभन्न प्रतियोगितओं के विजेताओं को पुरस्कार भी घोषित किए जा रहे हैं कविताएं, पेंटिंग ,इंस्टूमेंटल म्यूजिक, मेकअप और कुकिंग आदि के भी विडियो का आदान-प्रदान हो रहा है.
कामकाजी के लिए शारीरिक और मानसिक दबाब भी
लॉकडाउन के कारण दो फ्रंट पर काम करने के बाद महिलाओं को शारीरिक और मानसिक दबाव की परेशानी भी झेलनी पड़ रही है. जिस घर में बच्चा छोटा है तो वहां पर महिला को अपना घर का काम भी खत्म करना है, ऑफिस की शिफ्ट को भी पूरा करना है और फिर बच्चे को भी संभालना है.
अगर बच्चा नहीं है और परिवार में ऐसे मेल मेंबर्स हैं जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो इस स्थिति में भी महिला पर ज्यादा मेंबर्स के लिए नाश्ते से लेकर खाना बनाने का बोझ आ जाता है.
इन स्थितियों के कारण होने वाली शारीरिक और मानिसक थकान महिलाओं की काम करने की क्षमता पर भी असर डाल रही है.
वर्क फ्रॉम होम में भी परेशानी
लॉकडाउन के कारण नौकरीपेशा महिलाएं जहां एक ओर वर्क फ्रॉम होम करते हुए 9-10 घंटे ऑफिशियल काम कर रही हैं तो वहीं बचे हुए समय में उन्हें घर व परिवार का भी पूरा ध्यान रखना पड़ रहा है.
यह स्थिति उन्हें रोज फिजिकली और मेंटली ज्यादा थका रही है. महिलाओं को भी ऑफिस के लिए अतिरिक्त वक्त निकालते हुए काम करना पड़ रहा है.
यह स्थिति महिलाओं के लिए और भी ज्यादा परेशानी इसलिए बन रही है क्योंकि उनके लिए सिर्फ ऑफिस ही नहीं बल्कि घर के कामों के घंटे भी बढ़ गए हैं.
समय भी नहीं बच पा रहा
दिनभर ऑफिस और घर के काम करने की वजह से महिलाओं के पास अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं बच रहा है. बगैर किसी मदद के घर के सारे काम करना उनके लिए मुसीबत बनता जा रहा है.
हालत यह है कि कई महिलाओं को खुद की स्किनऔर डायट की केयर तो दूर बल्कि सोने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है. यहां तक कि सप्ताह में ऑफिस से मिलने वाले वीकऑफ के दिन भी वह ज्यादातर समय घर के उन कामों को पूरा करने में लगा रही हैं जिन्हें वे सप्ताह के अन्य दिनों में नहीं कर पाईं.