अमेरिका: दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. वहीं कई देश के वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता कोरोना की वैक्सीन और दवा बनाने में जुटे हुए हैं. इसी बीच खबर मिली है कि संक्रमित मरीज की एंटीबॉडी से दवा का ट्रायल करने के लिए एक और कंपनी मैदान में उतर गई है.
अमेरिकी दवा कंपनी एलि लिली ने सोमवार को बताया कि कोरोना के इलाज में एंटीबॉडी इसकी उपयोगिता और उसके असर को देखने के लिए मनुष्यों पर ट्रायल शुरू हो गया है. ट्रायल का परिणाम जून के आखिर में आने की संभावना है.
कोरोना वायरस को किया जा सकता है न्यूट्रलाइज
वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीबॉडी ट्रीटमेंट को इस तरह डिजाइन किया गया है कि जिससे कोरोना वायरस को न्यूट्रलाइज किया जा सकता है. दुनिया की कई और कंपनी भी एंटीबॉडीज पर काम कर रही हैं, लेकिन एली लिली ट्रायल शुरू करने वाली पहली कंपनी है.
कंपनी का कहना है कि जिस दवा का परीक्षण किया जा रहा है उसे एलवाई-सीओवी-555 नाम दिया गया है, जिसे एक निजी दवा कंपनी की मदद से तैयार किया गया है.
इस दवा के जरिए कोरोना के स्पाइक प्रोटीन की संरचना को निष्क्रिय किया जा सकता है. जिससे वायरस शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाएगा और ना ही नुकसान पहुंचा पाएगा.
कंपनी के अनुसार अमेरिका में कोरोना से ठीक हुए पहले मरीज के रक्त के सैंपल से एंटीबॉडी ली गई थी. जिसे फेफड़ों से जुड़ी तकलीफ थी इसी आधार पर एंटीबॉडी इलाज को तैयार किया गया है.
संक्रमित व्यक्ति के खून से ली एंटीबॉडी
कंपनी को उम्मीद है कि इस दवा के जरिए कोरोना से बीमार लोगों का सार्थक इलाज होगा. वैज्ञानिकों ने संक्रमित व्यक्ति के खून से एक एंटीबॉडी ली और उसी आधार पर इलाज करने का तरीका खोजने की कवायद शुरू की. अध्ययन में पता चला है कि दवा से कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन और उसकी सतह पर बुरा असर पड़ता है.