रांची: आज छठ का पहला अर्घ्य सूर्य भगवान को दिया जाएगा. छठ पर्व पर पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. बता दें, छठ का पहला अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस दौरान जल में दूध डालकर व्रती सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह अर्घ्य भगवान सूर्य की पत्नी प्रत्यूषा को दिया जाता है.
सूर्य उपासना का प्रमुख पर्व छठ महोत्सव के तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वैसे ज्यादातर भक्त उदित होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, लेकिन मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले सूर्य छठ महोत्सव के अवसर पर तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके लिए बड़ी संख्या में व्रती समुद्र, पवित्र नदियों और सरोवरों के किनारे पर इकट्ठा होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे. इस बार लॉकडाउन के होने से यह परंपरा घर से निभाई जाएगी. अस्त होते सूर्य का अर्घ्य आज दिया जाएगा.
Also Read This: पांच मिनट में कोरोना टेस्ट, एक अमेरिकी कंपनी ने विकसित किया तकनीक
संध्या में सूर्य देव रहते हैं पत्नी प्रत्यूषा के साथ
अस्त होते सूर्य को अर्घ्य इसलिए भी दिया जाता है , क्योंकि इस समय सूर्यदेव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इस कारण सूर्य को संध्या का अर्घ्य देने वालों को सूर्यदेव के साथ उनकी पत्नी प्रत्यूषा का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है. धर्म शास्त्रों में दिन में तीनों समय सुबह, दोपहर और शाम को सूर्य को अर्घ्य देने का प्रावधान है और इन तीनों समय सूर्य को अर्घ्य देने के अलग-अलग फायदे मिलते हैं. सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है. दोपहर के समय सूर्य की आराधना करने से यश और कीर्ति में वृद्धि होती है. संध्याकाल में सूर्य को अर्ध्य देने से तुरंत लाभ मिलता है.
सूर्य देव की आराधना सुबह के समय करने का ज्यादा विधान है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से भी बड़ा फायदा होता है. मान्यता है कि जो लोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं उनको सरकारी कामकाज में सफलता मिलती है. अदालती कामकाज में जो लोग बेवजह उलझ गए हों उनको अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से लाभ होता है. पिछले दिनों से अटके हुए सरकारी कामकाज भी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से हो जाते हैं. यदि कोई छात्र बारम्बार किसी परीक्षा में असफल हो रहा है तो अस्त होते सूर्य को जल चढ़ाने से उसको भी लाभ होता है. यदि किसी व्यक्ति को आंखों और पेट की समस्या परेशान कर रही हो तो उसको भी अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इन शारीरिक समस्याओं से निजात मिलेगी.
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र-
सूर्य को अर्घ्य देते समय ओम सूर्याय नमः या फिर ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूर्य: आदित्य:, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा मंत्र का जाप करें.