जम्मू-कश्मीरः एक माह में एशिया की सबसे लंबी जोजिला रोड टनल का काम शुरू होने जा रहा है. नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएचआईडीसीएल) की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के मूर्त रूप लेने से चीन और पाकिस्तान से घिरा लद्दाख पूरे साल जम्मू-कश्मीर से जुड़ा रहेगा. 14.150 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण टेंडर हासिल करने वाली हैदराबाद की मेघा कंस्ट्रक्शंस कंपनी ने काम शुरू करने से पूर्व औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं.
परियोजना को दो चरणों में बांटा गया है, जिसका पहला चरण ढाई वर्ष और दूसरा 6.5 वर्ष में पूरा किया जाएगा. समुद्रतल से 11578 फुट की ऊंचाई पर जोजिला दर्रे टनल निर्माण की टेंडर प्रक्रिया को जुलाई 2020 में अंजाम दिया गया था. लार्सन एंड टूब्रो व इरकॉन के मुकाबले मेघा कंस्ट्रक्शंस की बोली कम रही थी. अगस्त में टेंडर जारी कर दिया गया. वहीं, जोजिला सुरंग निर्माण के लिए एनएचआईडीसीएल का साइट कैंपस भी तैयार हो गया है. निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तकनीकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. एक माह में जोजिला परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा.
जोजिला और रोहतांग से मिलेगी सामरिक मजबूती
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख एक तरफ से एलएसी पर चीन से सटा हुआ है तो दूरी ओर एलओसी पर पाकिस्तान से. उच्च पर्वतीय भूखंड होने की वजह से रोड कनेक्टिविटी छह माह या उससे अधिक समय के लिए कट जाती है. लेह-मनाली रूट पर रोहतांग टनल तो लेह-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर जोजिला टनल बनने से लद्दाख को बारह महीने रोड हाईवे से जोड़े रखने में मदद मिलेगी.
पंद्रह मिनट में होगा साढ़े तीन घंटे का सफर
दुनिया की सबसे मुश्किल सड़कों में शुमार जोजिला दर्रे की सड़क से वाहनों को वर्तमान में दर्रा पार करने में साढ़े तीन घंटे लगते हैं. बर्फबारी के दौरान श्रीनगर से कारगिल पहुंचने में 10 से 12 घंटे तक लग जाते हैं. जोजिला टनल बनने से दर्रे का फासला पंद्रह मिनट में पूरी हो जाएगा.
डिजाइन बदला, घट गई अनुमानित लागत
जोजिला टनल निर्माण का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2018 में नींव पत्थर रखा था, लेकिन लागत बढ़ने के चलते आईएसएंडएफएस ने प्रोजेक्ट छोड़ दिया. नए प्रस्ताव में टनल की अनुमानित लागत 8 हजार करोड़ रखी गई, जिसे नए सिरे से डिजाइन कर लगभग आधा किया गया है. मेघा कंस्ट्रक्शंस को मिला काम 4429.83 करोड़ का है.