भूटान: भूटान ने उस रिपोर्ट की वैधता का स्पष्ट रूप से खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि देश ने असम के साथ भारत की सीमा पर सिंचाई चैनल के लिए पानी छोड़ना बंद कर दिया है. सूत्रों ने कहा कि भूटानी पक्ष ने कहा कि वे असम में पानी के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए चैनलों की मरम्मत कर रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि भूटान द्वारा असम को चैनल पानी की आपूर्ति रोकने की रिपोर्ट सही नहीं है. वास्तव में, भूटानी पक्ष ने यह कहते हुए स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है कि वे असम में पानी का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए चैनलों में मरम्मत कर रहे हैं.
दरअसल कई रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि भूटान ने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है. बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए डोंग परियोजना पर निर्भर हैं. वर्ष 1953 के बाद से किसान धान की सिंचाई भूटान की नदियों के पानी से करते रहे हैं.
इसको लेकर दो-तीन दिनों से बक्सा के किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने रोंगिया-भूटान सड़क जाम की थी. किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए. दरअसल, धान के मौसम में हर साल बक्सा के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी का पानी सिंचाई के लिए लाते हैं. बता दें कि हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा पर झड़प हुई और दूसरी ओर चीन की सत्तारूढ़ चायनीज कम्यूनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने भारत के पड़ोसी देशों में भारी निवेश किया है. इसीलिए दक्षिण एशिया बहुत हद तक चीन पर निर्भर हो चुका है.
असम के मुख्य सचिव संजय कृष्ण ने भी शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया जिनमें कहा गया है कि भूटान ने असम का पानी रोक दिया है. उन्होंने साफ किया कि पड़ोसी देश ने ब्लॉकेज को हटाकर असल में हमारी मदद की है. एएनआई से बात करते हुए कृष्ण ने कहा कि भूटान की सीमा असम के एक जिले से मिलती है. एक सामान्य चैनल है जिससे पानी असम के खेतों में आता है. पानी को इसलिए रोका गया था क्योंकि चैनल में कुछ रुकावटें थीं. दोनों पक्षों के डीएम ने बात की और मुद्दे का समाधान किया. भूटान के साथ कोई विवाद नहीं है और यह कहना गलत है कि भूटान ने पानी रोक दिया.