रांची: महापौर आशा लकड़ा ने कहा झारखंड के कण-कण में प्रभु श्री राम का वास है. लोहरदगा का अंजन धाम व सिमडेगा का रामरेखा धाम इसका प्रमाण है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित यह कटु सत्य किसी से छिपा नहीं है. आदिवासी समाज का अस्तित्व ही प्रभु श्री राम की वानर सेना से जुड़ा है. यदि इस तथ्य को झुठलाने वाले लोग हमें आदिवासी समाज से बहिष्कृत करने की साजिश कर रहे हैं तो वे सबसे पहले अपने अंदर झांकें.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए सरना स्थल की मिट्टी लेने से झारखंड की धरा पवित्र हो गई है. मुझें आदिवासी समाज से बहिष्कृत करने वाले लोग पहले अपने अंदर झांके और यह सोचें कि वे किस समाज से आते हैं. उनका परिवार किस जाति, धर्म से जुड़ा हुआ है. ऐसे लोगों को आदिवासी समाज से किसी को बहिष्कृत करने का अधिकार नहीं है. मैं अपनी बात पर कायम हूं और पुनः कहना चाहती हूं कि सरना स्थल का मिट्टी बहुत ही पवित्र होता है. यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि सरना धर्म की मिट्टी पवित्र है उन्हें शुभ कार्य करने के लिए सरना स्थल की मिट्टी चाहिए, तो हम उन्हें सरना स्थल की पवित्र मिट्टी अवश्य उपलब्ध कराएंगे। ऐसा करने से समाज और धर्म का प्रचार व विस्तार होगा. यह हमारा सौभाग्य है कि अयोध्या में निर्माण होने जा रहे राम मंदिर के निर्माण में सरना स्थल की पवित्र मिट्टी को भी शामिल किया गया है. इस प्रकार के कार्यों से आदिवासी समाज को न सिर्फ सम्मान मिला है, बल्कि सरना स्थल की पवित्रता को स्वीकार किया गया है. जो लोग आदिवासी समाज के हितैषी बन आज मेरा सामाजिक बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं, उन्हें मैं यह याद दिलाना चाहूंगी कि त्रेता युग में जब प्रभु मयार्दा पुरुषोत्तम श्री राम सीता माता की खोज में वन-वन भटक रहे थे, तब आदिवासी समाज के लोग ही वानर सेना के साथ उनके सहयोग के लिए आगे आए और रावण की लंका पर चढ़ाई किए.
आशा लकड़ा ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में कांग्रेस व जेएमएम के इशारे पर आदिवासी समाज के कुछ ठेकेदार सरना धमार्वलंबियों को गुमराह कर तोड़ने का काम कर रहे हैं. मैं आदिवासी समाज के लोगों से अपील करती हूं कि भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह कर धर्म परिवर्तन कराने वाले ऐसे धर्म गुरुओं के चक्कर में न आएं. मैं बताना चाहूंगी कि बंधन तिग्गा, जो अपने आप को सरना धर्म गुरु कहते हैं, उनके परिवार में कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं. ये लोग सरना धर्म के नाम पर गुमराह कर आदिवासी समाज को बांटने का काम कर रहे हैं. इन लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है उन्हें ईलाज की आवश्यकता है. आदिवासी समाज के लोग विभिन्न क्षेत्रों से लगातार फोन कर अपना समर्थन दे रहे हैं इससे यह स्पष्ट होता है की वास्तविक सरना धर्म मानने वाले लोगों का समर्थन हमारे साथ हैं.