रांची. प्राइवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐसोसिएशन पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल में सबसे अधिक बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है, लेकिन अब कोरोना टीका बाजार में आ चुका है और स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. ऐसे में निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों, उनके अभिभावकों और निजी स्कूल में कार्यरत लाखों शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों की परेशानियों की ओर से भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.
पासवा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लॉकडाउन अवधि में निजी स्कूलों की ओर से सिर्फ ट्यूशन शुल्क ही लिया गया और अभिभावकों को बड़ी राहत दी गयी. लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार निजी स्कूलों की समस्याओं के समाधान की दिशा में ध्यान दें. उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेसिंग और अन्य दिशा-निर्देशों के तहत 8वीं कक्षा से नीचे की अन्य कक्षाओं के बच्चों के लिए भी ऑफलाइन पढ़ाई शुरू करनी चाहिए.
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी स्कूल आज भी शहरों और आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए रीढ़ की हड्डी के सामान है, इन्हीं स्कूलों के प्रयास से स्कूली शिक्षा को गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों और अभिभावकों के बीच हमेशा से मधुर और समन्वयपूर्ण संबंध रहा है. जिन अभिभावकों ने अब तक ट्यूशन शुल्क नहीं भरा है,वे समय पर शुल्क जमा कर निजी स्कूल प्रबंधन का सहयोग करें ताकि स्कूलों में कार्य करने वाले शिक्षकों,कर्मचारियों का वेतन दिया जा सके. आलोक दूबे ने कहा कुछ लोग निजी विद्यालयों के खिलाफ वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है जो उचित नहीं है.