अयोध्या: विश्व हिंदू परिसर का तीन दशक से पूजित राममंदिर मॉडल पूरी तरह स्वीकार होने के बाद अब 70 एकड़ में भव्य परिसर सजाने की तैयारी है. इसका खाका श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अगुवाई में इंजीनियरों की टीम तय कर रही है. मुख्य मंदिर की तरह अब पूरे परिसर को भी राजस्थान के भरतपुर स्थित बंशी पहाड़पुर के पत्थरों से सजाने की योजना है. इसी पत्थर से भव्य आकार के प्रवेश व निकास द्वार समेत कारीडोर, पब्लिक प्लाजा, लोटस पोंड, खंभे आदि बनाए जाएंगे. परिसर में इन्हीं खंभों पर लाइट, सीसी कैमरे और पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगेगा. ऐसा करने से राममंदिर की लागत एक हजार करोड़ से अधिक होगी.
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से निर्माण कार्य की अगुवाई के लिए अधिकृत देवरिया के मूल निवासी रिटायर आईएएस नृपेंद्र मिश्र जल्द ही अयोध्या आने वाले हैं. सूत्र बताते हैं कि ऑफिसियो ट्रस्टी व जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के जरिए वह 70 एकड़ भूमि की मौजूदा स्थिति की एक-एक इंच माप करके डिजाइन मंगवा चुके हैं. इसमें विराजमान रामलला पूरबमुखी हैं.
दाहिने हाथ पौराणिक व पुरातात्विक कुबेर टीला, बाएं हाथ बड़ा स्थान, सीता रसोईं और सामने मानस भवन समेत कई मंदिर हैं. विराजमान रामलला काफी ऊंचाई पर हैं, जबकि पीछे की तरफ सड़क तक गहरी खाईं है. वर्तमान में एक द्वार हनुमानगढ़ी-कनकभवन से आने वाली सड़क से संचालित है, जबकि मुख्य मार्ग का रास्ता बंद है. पीछे वाली सड़क के किनारे भी चारदीवारी व लोहे की ऊंची पाइपों से पैक हैं.
सूत्र बताते हैं कि 29 फरवरी को यहां आ रहे निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने परिसर की भव्यता का पूरा खाका तैयार कराया है. इसमें शिलाखंडों से ही 6 मीटर चौड़ाई और 15 मीटर ऊंचाई के दो बड़े प्रवेश व निकास द्वार बनने हैं. पब्लिक प्लाजा, लोटस पोंड, राम कॉरिडोर बनेंगे. संग्रहालय भी बनेगा.
यह काम राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पत्थरों से होगा. द्वार और कॉरिडोर के पत्थरों को तराशने के लिए जल्द ही ऑर्डर दिए जाएंगे. द्वार पर स्वागत करते हुए मूर्तियों की नक्काशी होगी. नक्काशीदार खंभों में भी मूर्तियां उकेरी जाएंगी. पूरे परिसर में 150 से ज्यादा मूर्तियां लगेंगी. म्यूजिकल फव्वारा भी होगा. यहां आकर्षक लाइटिंग भी होगी. इसके आसपास श्रद्धालु बैठ सकेंगे.
बंशी पहाड़पुर के पत्थरों की विशेषता
बंशी पहाड़पुर भरतपुर की रूपवास तहसील बयाना उपखंड क्षेत्र में स्थित है. जहां पर बंध बारैठा अभ्यारण्य स्थित है. वहीं पर यह पहाड़ है, जिसके चारों तरफ पानी भरा रहता है. इसका प्रयोग देश की अनेक ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण के लिए किया गया है. जैसे-लाल किला, बुलंद दरवाजा, बीकानेर का जूनागढ़ आदि इमारतों के साथ ही देश के अनेकों किलों का निर्माण इसी पत्थर से हुआ था, जो हजारों वर्षों से ऐसे ही खड़े हैं. इस पत्थर की खास बात है कि इसका रंग कभी नहीं बदलता है. भरतपुर का यह पत्थर न केवल देश, बल्कि विदेश में भी ख्याति प्राप्त है, क्योंकि यह पत्थर पानी में होता है और अपने गुलाबी रंग के साथ सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.
तराशे गए पत्थरों की सफाई केमिकल से होगी
निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के समक्ष तैयार शिलाओं को केमिकल से चमकाने का प्रदर्शन करने के लिए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पूरी तैयारी की है. इसके राजस्थान से कारीगर बुलाए गए हैं. पत्थर पर जमी काई केमिकल डालते ही साफ हो जाएगी, इसके बाद दो कोट केमिकल से करने के बाद जब धुलाई होगी तो पत्थर चमक उठेंगे. इन कारीगरों को 29 फरवरी को बुलाया है.
अजमेर से आएंगे तैयार दरवाजे, कंगूरे जाली
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में विहिप की तीन कार्यशालाएं सालों से बंद हैं, लेकिन वहां काफी मात्रा में तराशे गए पत्थर आज भी हैं. मातेश्वरी मार्बल, शिवशक्ति मॉर्बल और सोमपुरा मॉर्बल कंपनियों को पत्थर तराशकर अयोध्या भेजने का काम फिर सौंपा जा रहा है. राम मंदिर के लिए जिस साइज का खंभा पिलर या कंगूरे बनने हैं उसी साइज का ब्लॉक यहां से काटकर तराशा गया है. राममंदिर के पहले तल पर जो दरवाजे, जाली व फर्श होगी, वह राजस्थान के अजमेर जिले के सफेद मकराना पत्थर से तैयार होगी.