‘छौ महीना होई गेलक, मोर बेटा कमाये वास्तेs… बाहर गेलक रहे. आलक तो ठीके, पर उके हस्पताल में भरती कर देलक……।
ये कहना है 62 वर्षीय इजराइल लकड़ा का. इजराइल का बेटा बाहर मजदूरी करने गया था, परंतु जब आया तो पास रहकर भी पिता से दूर है. प्रशासन के निर्देश पर बेटे को गांव के बाहर एक आवास में 14 दिनों के लिए बंद कर रखा गया है. जिसे उसके वृद्ध पिता रोज आकर निहारते है और दूर खड़े होकर बात करते हैं. दिल में बेटे के आ जाने की खुशी तो है और गले लगाने की इच्छा भी करती है पर, कोरोना संक्रमण के कारण बेटे को दूर से देखकर ही वापस लौट जाते है.
इजराइल के बेटे को नामकुम प्रखंड में बने क्वारंटाइन सेंटर में भरती रखा गया है. वृद्ध ने बताया कि उसका बेटा 18 मई को ट्रेन से मैंगलोर से वापस आया. वह कई दिनों से गांव से बाहर काम करने गया था. लॉक डाउन में फंस गया था. किसी तरह वह अपने गांव आया परंतु गांव वालों के निर्णय के कारण उसे समाज सेवी हाबिल मिंज के खाली पड़े मकान में बंद कर रखा गया है. उसके बेटे मोरिस लकड़ा के साथ अन्य तीन युवा भी थे.
वह घर चारों से ओर से घिरा हुआ है. बाहर से ताला लगा दिया गया है ताकि, कोई अंदर से बाहर और बाहर से अंदर न जाए. वृद्ध ने बताया कि बेटा विवाहित भी है और बच्चे भी हैं. वे भी रोज आकर दूर से देखते हैं और बात करते हैं. घर से बने भोजन व खाने की चीजों को लाते है परंतु न ही अपने हाथों से दे सकते है और न खिला सकते है. बस बंद गेट के बाहर दीवार पर रख और बेटे को आवाज लगाकर चले जाते हैं.
इजराइल बताते हैं कि, मेरे बेटे सहित अन्य युवाओं की जांच का सेंपल ले जाया गया है. मैं पूर्व में प्राइवेट सिक्यूरिटी गार्ड था और बाद में ग्राम सभा का अध्यक्ष और वन विभाग द्वारा गठित जंगल समिति का अध्यक्ष भी रहा था. गांव के युवाओं को दूसरे मकान में कुछ दिनों के लिए बंद गांव के लोगों की सुरक्षा के लिए किया गया है.