रांची: झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अभी भाजपा में औपचारिक तौर पर शामिल नहीं हुए हैं. इसके बाद भी पार्टी में हड़कंप मच गया है. बाबूलाल भाजपा नेताओं में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. हर कोई बाबूलाल से नजदीकी बढ़ाने में अभी से लग गया है. पुराने संबंध और दिनों को याद कराने का प्रयास नेताओं की ओर से किया जा रही है. इसमें बड़ी संख्या अब तक पार्टी में उपेक्षित रहे कार्यकर्ताओं की है.
नयी टीम के गठन की संभावना
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में आने से वहां नयी टीम के गठन की संभावना है. ऐसे में वर्तमान में विभिन्न पदों पर रहे नेताओं की जगह नये चेहरे को जगह दी जा सकती है. इसमें बाबूलाल मरांडी की अहम भूमिका होने की उम्मीद है. ऐसे में नेता पार्टी में अच्छे पद पाने की जुगत भिड़ा रहे हैं.
वापसी चाहती है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी झारखंड में सत्ता में वापसी चाहती है. अलाकमान का मानना है कि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ने के कारण झारखंड में पार्टी को 14 में 12 सीटें मिल पाई. विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति कमजोर होने के कारण नुकसान उठाना पड़ा. सत्ता में वापसी के लिए संगठन का सशक्त होना जरूरी है. ऐसी स्थिति में बाबूलाल के शामिल होने पर उन्हें हर स्तर पर छूट दी जा सकती है.
प्रदेश अध्यक्ष का भी चुनाव
भारतीय जनता पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी होना है. पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार की जिम्मेरवारी लेते हुए उन्होंने पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष को अपनी इस्तीफा सौंप दिया है. बतातें चलें कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में गिलुआ को मुंह की खानी पड़ी थी.
प्रतिपक्ष का पद भी खाली
प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ भाजपा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता का चुनाव भी अब तक नहीं कर पाई है. बताया जाता है कि बाबूलाल मरांडी के पार्टी में शामिल होने के बाद ही दोनों पद की घोषणा हो सकती है. आलाकमान उनसे बातचीत करने के बाद ही दोनों पद के लिए किसी का चुनाव करेगा. बाबूलाल मरांडी की इच्छा के अनुसार उन्हें पद ऑफर किया जाएगा. ऐसी स्थिति में नेता प्रतिपक्ष बनने की आस लगाये भाजपा विधायक को झटका लग सकता है.
झाविमो विधायक असमंजस में
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के कयास के बीच झाविमो के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की असमंजस में हैं. झाविमो का विलय भाजपा में हो जाने पर उनपर दूसरे दल में जाने पर दलबदल कानून भी लागू हो सकता है. ऐसा होने पर उनकी विधायकी जा सकती है. वैसे चर्चा है कि बंधु तिर्की कांग्रेस में जाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं. प्रदीप यादव ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं.