शशिभूषण दूबे कंचनीय,
UP(प्रयागराज): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गांवसभा की बंजर भूमि (Waste Land) पर सड़क बनाने के 13 मार्च 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही भूमि की यथास्थिति बनाए रखने का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने बंजर भूमि पर सड़क बनाने नाने के अधिकार के मुद्दे पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी.
जौनपुर का है मामला
हाईकोर्ट ने गांव सभा की बंजर भूमि पर सड़क बनाने के अधिकार के मुद्दे पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा ने जौनपुर (Jaunpur) के मछलीशहर के गांव निभापुर के निवासी विश्वनाथ की याचिका पर दिया है.
सड़क बनाने से निजता का उल्लंघन की दलील
याचिका पर अधिवक्ता विनोद शंकर गिरी ने बहस की. इनका कहना है कि गांव में पहले से एक चकरोड है, जिससे लोग आते-जाते हैं. याची के घर के सामने गांव सभा की बंजर भूमि है. याची की आपत्ति के बावजूद ग्राम प्रधान जबरन सड़क बना रहे हैं. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 25 के अनुसार बंजर भूमि के आसपास के लोगों की सहमति से ही सड़क बनाई जा सकती है. याची की आपत्ति है कि एक सड़क है तो बंजर पर सड़क नहीं बन सकती. सड़क बनने से उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा.
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा
याची अधिवक्ता गिरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि भूमि की प्रकृति बदले बगैर बंजर भूमि पर सड़क बनाने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है. इस पर हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने गांव सभा की बंजर भूमि पर सड़क बनाने के अधिकार के मुद्दे पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.