नई दिल्ली: वायु प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की संभावना कई विभागों के सरकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को एक संसदीय समिति के सामने जाहिर कहा की वायु प्रदूषण के कारण संक्रमण की दर तेज हो सकती है, क्योंकि इसके चलते छींकने और खांसने के मामले बढ़ जाते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, शहरी विकास पर स्थायी संसदीय समिति के सामने केंद्रीय पर्यावरण व स्वास्थ्य मंत्रालयों और दिल्ली, हरियाणा व पंजाब राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारी पेश हुए.
इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्थायी हल तलाशने को लेकर माथापच्ची की गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कई अन्य विभागों के अधिकारियों ने भी वायु प्रदूषण की समस्या पर अपना पक्ष रखा.
संसदीय समिति के सामने केंद्र सरकार के अधिकारियों ने वायु प्रदूषण के कारण कोविड-19 के फैलने की दर तेज होने के खतरे पर चिंता जताई. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी प्रेजेंटेशन में कहा, ज्यादा वायु प्रदूषण के कारण खांसने और छींकने के मामले बढ़ते हैं, जिससे कोविड-19 तेजी से फैलता है. खांसने और छींकने के दौरान हवा में फैला वायरस पहले से प्रदूषण के कारण मौजूद महीन धूल कणों से चिपककर ज्यादा दूर तक पहुंच सकता है और ज्यादा लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए लेंसेट अध्ययन का भी हवाला दिया और कहा, भारत में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा कम होने की औसत दर 1.7 साल हो गई है. दिल्ली में श्वसन रोगों और सांस लेने में समस्या बढ़ने का खतरा 1.7 गुना ज्यादा है और वायु प्रदूषण के कारण हर साल 10 से 30 हजार मौत दर्ज की जाती हैं.
साल में महज चार दिन स्वच्छ हवा लेते हैं दिल्लीवासी
पर्यावरण मंत्रालय ने 2016 से 2019 के बीच चार साल के दौरान दिल्ली में वायु गुणवत्ता का ब्योरा पेश किया. मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में इस दौरान हर साल महज चार दिन हवा की गुणवत्ता अच्छी दर्ज की गई, जबकि 319 दिन गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब रहा है. इस दौरान 78 दिन ऐसे रहते हैं, जब हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है.