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हाईकोर्ट ने मामले का लिया संज्ञान, सरकारी महकमा में मचा हड़कंप
चतरा: आखिरकार गरीबी और बदनसीबी ने एतु गंझू की जान ले ही ली। तीन महीने से टीबी से ग्रसित एतु के लिए सरकार मदद लेकर आई, लेकिन मदद मिलने से पहले ही एतु ने दम तोड़ दिया। कुंदा प्रखंड के टिकैतबांध गांव में गरीबी के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसे 55 वर्षीय एतु गंझू जिंदगी की जंग हार गया। आपकों बता दें कि एतू गंझु पिछले तीन महीने से टीवी से ग्रसित था। हर दिन मौत और जिंदगी से जूझ रहा था और अंत में मौत हो गई। गरीबी की मिसाल इतना अधिक था कि इलाज कराना संभव नहीं था। बताया जाता है कि मजदूरी कर सपरिवार का पालन पोषण करता था। सवाल खड़ा होता है कि कब तक झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे टीबी जैसी बीमारी से लड़ा जा सकता है। जब तक बेहतर इलाज ना हो तो इन बीमारियों से निपटना नामुमकिन है। एतू गंझु के 16 वर्षीय पुत्र बिनय पिता के बीमार होने से काफी चिंतित था। आखिरकार परिवार का भरण पोषण का जिम्मा नाबालिक पुत्र विनय के जिम्मे आ ही गया। ताज्जुब की बात है कि उच्च न्यायालय के संज्ञान लेने के बाद सरकारी महकमा में मानो हड़कंप सा मच गया। उसके बाद मृत व्यक्ति के घर पदाधिकारियों का पहुंचना जारी हो गया। काश जिस प्रकार एतू गंझु के मौत के बाद पदाधिकारी हरकत में आए हैं। ठीक उसी प्रकार अगर जब मौत और जिंदगी से जूझ रहा था। उस समय एतू को सुविधा मुहैया कराई गई होती तो आज मौत के मुंह में एतू नहीं होता। घटना की जानकारी एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान लेने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी श्रवण राम, डीआरडीए डायरेक्टर अरुण कुमार एक्का,जिला विधिक सेवा प्राधिकार व्यवहार न्यायालय चतरा के निर्देश पर प्रतापपुर प्रखंड के पीएलबी गोविंद ठाकुर एवं नरेश प्रजापति कुंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मी पंचायत सचिव कालेश्वर उरांव मृतक के घर पहुंचकर परिजनों की आर्थिक सहायता किया।वही सेवा प्राधिकार व्यवहार न्यायलय चतरा के निर्देश पर कुंदा पहुंचे टीम ने कहा की बीडीओ से मिलकर परिवारिक लाभ एवं अनाज उपलब्ध कराने की बात कही।