उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में बस्ती के रहने वाले मोहनलाल शर्मा 23 मई को झांसी से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बैठे थे. ट्रेन गोरखपुर जाकर चार दिन बाद झांसी लौट आई लेकिन मोहनलाल अपने घर नहीं पहुंचे.
झांसी रेलवे यार्ड में ट्रेन की सफ़ाई होने लगी तो सफ़ाईकर्मियों ने ट्रेन के शौचालय में एक एक लाश देखी. पड़ताल करने पर पता चला कि ये लाश मोहनलाल की थी. यह त्रासदी अकेले मोहनलाल के साथ नहीं हुई बल्कि श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने वाले कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
इनमें से ज़्यादातर मौतें किन वजहों से हुईं, ये सवाल वैसे ही रहस्य बना हुआ है जैसे मोहनलाल शर्मा की मौत का.
झांसी में राजकीय रेलवे पुलिस के डीएसपी नईम ख़ान मंसूरी ने बताया, “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में किसी तरह की बाहरी चोट नहीं लगी है. विसरा जांच के लिए भेजा गया है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि मौत किस वजह से हुई है.”
जिस श्रमिक ट्रेन में मोहनलाल बैठे थे उसे अगले दिन गोरखपुर पहुंचना था और फिर उसी दिन वहां से वापस आना था. लेकिन दो दिन की यात्रा को ट्रेन ने चार दिन में पूरा किया.
यह वैसे ही था जैसे कई अन्य श्रमिक ट्रेनें कई-कई दिनों में अपनी निर्धारित दूरियां पूरी कर रही हैं और कई बार रास्ता भी भटक रही हैं. हालांकि रेलवे मंत्रालय इसे रास्ता भटकना नहीं बल्कि डायवर्जन बता रहा है.