हजारीबाग: हजारीबाग के कोर्रा थाना कांड संख्या 178/2019 में एक बड़ा खुलासा हुआ है. यह खुलासा मृतक के पिता राजेन्द्र प्रसाद ने किया है. चैट में मर्डर शब्द का उल्लेख है. इस घटना में तीन युवकों की मौत हो गयी थी.
20 अक्टूबर 2019 की रात हजारीबाग के नीलाम्बर – पीतांबर चौक के समीप यह घटना घटी थी. इस घटना में बरही के धनवार पंचायत के पूर्व मुखिया राजेन्द्र प्रसाद के एकलौते पुत्र दीपक की भी मौत हो गयी थी.
राजेन्द्र प्रसाद ने इसे सुनियोजित हत्याकांड बताया है. इस बावत उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी, डीआईजी, एसपी, डीएसपी, थाना प्रभारी, मानवाधिकार आयोग सबसे गुहार लगाया.
मामले को लेकर राजेन्द्र प्रसाद ने पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे, उत्तरी छोटा नागपुर के डीआईजी अमोल वेणुकान्त होमकर, हजारीबाग के पूर्व एसपी मयूर पटेल एवं वर्तमान एसपी कार्तिक एस से भी मुलाकात कर अपनी बात रखी है.
वर्तमान डीजीपी एमवी राव एवं सीएम हेमंत सोरेन से राजेन्द्र प्रसाद ने पांच बार से अधिक मुलाकात करने का प्रयास किया लेकिन कोरोना काल के कारण उनकी मुलाकात नहीं हो पा रही है.
इस बीच मृतक के पिता राजेन्द्र प्रसाद ने एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने आरोपी के WhatsApp चैट को सीएम, झारखंड पुलिस, डीआईजी हजारीबाग, हजारीबाग पुलिस, झारखंड सीएमओ को ट्वीट किया है. चैट में आरोपी किसी से चैट कर रहा है. चैट में मर्डर शब्द का जिक्र है.
पिता ने गुहार लगायी है कि उन्हें न्याय दिया जाए. राजेन्द्र प्रसाद लगभग एक साल से न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. प्रशासनिक स्तर पर अब तक इस मामले में कोई ठोस परिणाम निकलकर सामने नहीं आ पाया है.
कोर्रा टीओपी के एसआई मनोज कुमार आर्य की भूमिका इस मामले में संदिग्ध बताई जा रही है. पिता का कहना है कि मनोज कुमार आर्य इस केस में तथ्यों को छुपा रहे हैं और आरोपियों को बचा रहे हैं.
मृतक के पिता राजेन्द्र प्रसाद का कहना है कि घटना के दिन हमने कोई फर्द बयान नहीं दिया क्योंकि एकलौते बेटे की हत्या के कारण मैं विचलित अवस्था में था. हजारीबाग की कोर्रा टीओपी के द्वारा हमसे विचलित अवस्था में एक कागज पर हस्ताक्षर ले लिया गया और घटना के आरोपी के बयान को मेरा फर्द बयान बता दिया गया.
राजेन्द्र प्रसाद ने बताया की मैंने अगले दिन पुलिस से कई बार अनुरोध किया कि मेरा बयान लिया जाए लेकिन पुलिस ने अबतक मेरा बयान नहीं लिया है.
पिता ने कहा है कि यदि मुझे न्याय नहीं दिया गया तो हम आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे. एक साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाकर मैं परेशान हो चुका हूं. सिस्टम में बैठे लोग एक बेबस पिता के दर्द को महसूस नहीं कर पा रहे हैं. एकलौते बेटे की हत्या का दर्द क्या होता वह सिर्फ मैं ही समझ सकता हूं.