नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के साथ ही 10 नवंबर को होने वाली मतगणना के लिए निर्वाचन आयोग ने व्यापक इंतजाम कर लिए हैं. यहां सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है. स्ट्रांग रूम में ईवीएम कड़ी सुरक्षा में रखी हैं.
10 नवंबर को वोटों की गिनती के लिए बनाए कुल 55 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं, जहां 3 स्तर की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है. मतगणना केंद्रों की सुरक्षा के लिए सीएएफपी की कुल 19 कंपनी लगी हैं.
कल आएंगे नतीजे
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मतदान शनिवार को संपन्न हुआ. पिछले 10 दिनों में बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए हजारों उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने के लिए लगभग 7.3 करोड़ मतदाताओं ने कोरोना वायरस महामारी के बीच वोट डाला.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को हुआ था और चुनाव आयोग 10 नवंबर को परिणाम घोषित करेगा.
सूरत सट्टा बाजार में NDA को बहुमत
बिहार में एग्जिट पोल की तरह ही एक एग्जिट पोल सूरत सट्टा बाजार ने भी दिया है. सूरत के सटोरी यहां NDA को क्लियर बहुमत दे रहे हैं. सूरत सट्टा बाजार के हिसाब से NDA यहां 120-130 सीटें मिल सकती हैं, वहीं महागठबंधन 110-115 सिटों तक ही सिमट जाएगी.
जहां देशभर के एग्जिट पोल महागठबंधन के बेहतर पर्फॉर्मेंस का प्रेडिक्शन कर रहे हैं, वहीं सूरत सट्टा बाजार के सूरतेहाल बिल्कुल अलग हैं. जानकारों का कहना है कि चुंकि गुजरात में बीजेपी की सरकार है, यही वजह है कि वहां का ट्रेंड NDA के साथ हैं.
सूरत के सटोरियों ने चुनाव परिणाम पर नजर बनाए रखने के लिए पूरा नेटवर्क बना रखा है. सटोरियों के नेटवर्क में राजनीतिक पंडितों से लेकर पार्टियों में पैठ रखने वाले लोग तक शामिल हैं, जो राजनीतिक दल की मीटिंग्स, एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों और अलग-अलग सभाओं में जाते रहते हैं. साथ ही जनता का मूड भांपने के लिए इस नेटवर्क के लोग बिहार में भी मौजूद हैं, जो वहां से सूरत में बैठे बुकियों को ग्राउंड जीरो से ट्रेंड बताते रहते हैं.
सूरत के सट्टा बाजार की दिवाली इस बार पहले ही मन गई है. IPL के साथ साथ BPL में सटोरी खूब सट्टा लगवा रहे हैं, कुल 243 विधानसभा क्षेत्रों के चुनावों को लेकर बुकियों की रणनीति तैयार हो चुकी है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि कुल 25 हजार करोड़ रुपए का सट्टा लगने वाला है.
सुरत के एक बुकी के मुताबिक इस सट्टे में खुद राजनेता भी अच्छी-खासी रकम लगाते हैं, वो न सिर्फ अपने उम्मीदवार और दलों की जीत पर सट्टा लगाते हैं बल्कि विरोधी दलों के तगड़े उम्मीदवारों की जीत या हार पर भी सट्टा लगाते हैं और बिहार चुनाव की इस नाजायज़ गणित का गढ़ अब सूरत का सट्टा बाजार बन गया है.
एक तरफ राजनीतिक पार्टियां सत्ता पाने के लिए जोड़-घटाव की रणनीति बनाने में लगी हुई है, वहीं बुकी बंद कमरे में बैठे सट्टा का अलग खेल खेल रहे हैं.