बिहार में इन दिनों दिमागी बुखार (चमकी बुखार) बच्चों के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनकर खड़ा है। इसके कारण अबतक 66 की मौत हो चुकी है। श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में 55 और केजरीवाल अस्पताल में 11 लोगों को यह बुखार मौत की नींद सुला चुका है। बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
कहां-कहां है बीमारी का प्रकोप?
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का प्रकोप उत्तरी बिहार के सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी और वैशाली में है। अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ित बच्चे इन्हीं जिलों से हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बुखार से बच्चों की मौत का मामला गंभीर है। साथ ही स्वास्थ्य सचिव भी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है।
क्या हैं लक्षण?
एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है।
बीमारी अगर बढ़ जाए तो ये लक्षण नजर आते हैं-
बिना किसी बात के भ्रम उत्पन्न होना।
दिमाग संतुलित न रहना।
पैरालाइज हो जाना।
मांसपेशियों में कमजोरी
बोलने और सुनने में समस्या
बेहोशी आना।
बीमारी अगर बढ़ जाए तो ये लक्षण नजर आते हैं-
बिना किसी बात के भ्रम उत्पन्न होना।
दिमाग संतुलित न रहना।
पैरालाइज हो जाना।
मांसपेशियों में कमजोरी
बोलने और सुनने में समस्या
बेहोशी आना।
जिला प्रशासन के मुताबिक एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में उपचार करा रहे पांच बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। एसकेएमसीएच अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012 में इस बुखार से 120 बच्चों की मौत हुई थी।