रांची 29 जून : मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में स्वास्थ्य विभाग ने काफी अच्छा काम किया है। कई मानकों पर देश भर में पिछड़े राज्य की श्रेणी में आनेवाले झारखंड में स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार हो रहा है। लेकिन अभी काफी काम करने की जरूरत है। सरकार की नीति और सभी के प्रयास से यह संभव हो पा रहा है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने झारखंड मंत्रालय में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में कहीं।
*जिन्हें नहीं मिला गोल्डन कार्ड उन्हें राज्य सरकार अपने खर्चे पर उपलब्ध कराएगी गोल्डन कार्ड*
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि आयुष्मान भारत की शुरुआत प्रधानमंत्री जी ने झारखंड से की है। राज्य के 36.65 लाख लाभुकों को गोल्डन कार्ड मिला है। पूरे देश में यह झारखण्ड तीसरे स्थान पर है। हमें पूरे देश में इस योजना में मिसाल कायम करनी है। जिन लोगों को गोल्डन कार्ड नहीं मिला है, सरकार उन्हें अपने खर्च पर गोल्डन कार्ड उपलब्ध करायेगी। 15 जुलाई से अभियान चलाकर सबका गोल्डन कार्ड बनने का काम शुरू किया जायेगा।
*निजी अस्पतालों ने भी बढ़ कर भाग लिया–गरीबों के लिए भी सुलभ हुए निजी अस्पताल*
आयुष्मान भारत के तहत निजी क्षेत्र के अस्पतालों ने काफी अच्छा काम किया है। निजी अस्पतालों ने भी बढ़ कर भाग लिया और राज्य के गरीबों के लिए भी निजी अस्पताल सुलभ हुए। राज्य में 1,73,501 मरीजों का इलाज आयुष्मान भारत के तहत किया जा चुका है। इसमें 1,51,668 मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में हुआ है। मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने इसके लिए सभी अस्पताल प्रबंधन को बधाई दी। साथ ही कहा कि आयुष्मान भारत के तहत अच्छा कार्य करनेवाले तीन सर्वश्रेष्ठ निजी अस्पतालों को भी राज्य सरकार 25 सितंबर को आयुष्मान भारत योजना की वर्षगांठ पर सम्मानित करेगी। आयुष्मान भारत के तहत सरकार ने मरीजों के इलाज पर 170 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च की है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत में किसी प्रकार की सहायता के लिए टॉल फ्री नंबर 12555 के साथ राज्य का अपना कॉल सेंटर शुरू करें।
*झुग्गी-झोपड़ी में लगेगी क्लिनिक*
मुख्यमंत्री ने राज्य के शहरों के झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में क्लिनिक लगाने का निर्देश दिया है। इसकी शुरुआत अगस्त माह से की जायेगी। इस क्लिनिक में सामान्य जांच के साथ ही ओपीडी की सुविधा रहेगी। जिन मरीजों को इससे बेहतर इलाज की जरूरत होगी, उन्हें क्लिनिक द्वारा दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जायेगा। इस क्लिनिक के लगने से लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के लिए अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
*राज्य के 35 दुर्गम प्रखंडों में सितंबर से बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू होगी*
राज्य के दुर्गम ब्लॉक में बाइक एंबुलेंस शुरू की जायेगी। इसके लिए 35 ऐसे ब्लॉक चिह्नित किये गये हैं, जहां पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बड़े वाहन से मरीज लाना संभव नहीं है। हर ब्लॉक मे पांच-पांच बाइक एंबुलेंस रहेगी। इसके लिए सीएसआर से फंड की व्यवस्था की जायेगी।
*अस्पतालों की सूरत सुधारें*
मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे काम कर अस्पतालों की सूरत सुधारी जा सकती है। सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दें कि एक अभियान चलाकर 31जुलाई तक अस्पतालों के कचरे का साफ करायें। साथ ही वहां खराब बेड, गद्दे आदि की नीलामी करें। रंग रोगन करायें। इन छोटे-छोटे कामों से ही अस्पताल देखने में अच्छे लगने लगेंगे। गंदगी नहीं रहने से मरीजों को ठीक होने में कम समय लगेगा।
*आकांक्षी जिलों के आदिवासी-दलित बच्चों को प्रशिक्षित करें*
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने निर्देश दिया कि राज्य के अस्पतालों में मैनपावर की काफी कमी है। छोटे-छोटे गैर तकनीकी कार्यों के लिए भी स्टॉफ की काफी जरूरत है। राज्य के आकांक्षी जिलों के आदिवासी व दलित युवाओं को इन कार्यों के लिए स्किल्ड करें जिससे इन्हें रोजगार मिले और अस्पतालों को भी मैनपावर मिल जायेगा।
*पंचायत भवन में चलायें योग केंद्र*
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग के माध्यम से हम बीमारियों से बच सकते हैं। पहले की तुलना में लोगों में योग के प्रति जागरुकता आयी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए इस वर्ष रांची को मुख्य कार्यक्रम के लिए चुना। राज्य के सभी पंचायत भवनों में योग कक्षा चलायें। इससे गांव-गांव में योग से लोग जुड़ेंगे।
*108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा ने अच्छा काम किया*
2017 से राज्य में 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गयी। यह 24 घंटे लोगों को आपात परिस्थिति में सहायता मुहैया कराती है। अब तक इस सेवा से राज्य के 2,24,939 लोगों को सहायता मिल चुकी है, जिसमें 56247 दुर्घटना से सम्बन्धित मामले है। इसमें से अधिकांश मामलों में तो सही समय पर चिकित्सा सेवा मिलने से लोगों की जान बची है।
*मातृत्व-शिशु मृत्युदर कम करना ही वास्तविक विकास*
मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में मातृत्व मृत्युदर व शिशु मृत्युदर को कम करना सरकार का सबसे पहला ध्येय है। तभी राज्य का विकास सही मायने में हो पायेगा। सरकार इसके लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसके नतीजे भी दिख रहे हैं। पहले की तुलना में झारखंड में इन दोनों मानकों में काफी सुधार हुआ है। शिशु मृत्युदर 2014 में प्रति हजार जहां 34 थी, वह घट कर 29 पर आ गयी है।
*बैठक में स्वास्थ्य,चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री श्री रामचंद्र चंद्रवंशी, अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त श्री सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।