रांची: वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के द्वारा भारतीय वन कानून 1927 में संशोधन को लेकर जो मामला कोर्ट में चल रहा था. उन मामलों को वापस लेने की घोषणा किया जाना वह भी उस वक्त जब झारखंड राज्य में चुनाव होना तय हुआ है. 1 नवंबर 2019 से इस राज्य में चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गया था. इसके बावजूद भी कानून संशोधन मामले को वापस लेने की बात कहना आचार संहिता का उल्लंघन है. झा मु मो के प्रवक्ता विनोद पांडेय ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में इस बात को मीडिया के समक्ष रखा.
उन्होंने कहा कि पूरे देश में लाखों की संख्या में रह रहे वन प्रवासी प्रभावित हो रहे थे. झारखंड में सबसे अधिक लोग इस कारण से प्रभावित हो रहे थे. ऐसे समय में यह कानून संशोधन वापस लिया जाना आचार संहिता का उल्लंघन है.
उन्होंने आगे कहा कि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड जो पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के अंतर्गत आता है. उसमें एक विज्ञप्ति निकाला गया जिसमें 47 लोगों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ हुई. जिसकी अवधि 16 नवंबर से 16 दिसंबर रखी गई है. यह भी आचार संहिता का कहीं ना कहीं उल्लंघन है. लोगों को लुभाने की एक तरह की कोशिश भी की जा रही है.
उन्होंने कहा कि हमने सभी तथ्यों के साथ इस मामले को मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष रखा है. उन्होंने गंभीरता से हमारी बात को सुना और कहा कि हम इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.