जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसी) मई में परिसीमन आयोग से बाहर हो गयी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कथित तौर पर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हिंदू प्रभुत्व बनाने और केंद्र शासित प्रदेश को धार्मिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश कर रही थी.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य की विधानसभा ने 2026 में देश के बाकी हिस्सों के साथ परिसीमन अभ्यास के लिए जाने का फैसला किया. तो, केंद्र ने अचानक ये मुद्दा क्यों उठाया है?
वे हमें हिंदू-मुस्लिम तर्ज पर बांटना चाहते हैं और हिंदू प्रभुत्व बनाना चाहते हैं. ऐसा कभी नहीं होगा.फारूक अब्दुल्ला आयोग के सदस्यों के रूप में नामित तीन NC सांसदों में से थे.
मार्च में केंद्र ने जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में हाल की जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से शुरू करने के लिए आयोग का गठन किया. NC ने मई में इसका विकल्प चुना.
उन्होंने अपने बेटे और अन्य पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ एक संयुक्त साक्षात्कार में एचटी को बताया कि “यही कारण है कि हमने उन्हें उन्हें साफ बताया कि हम आपके परिसीमन पर विश्वास नहीं करते हैं.
भाजपा का एक निश्चित उद्देश्य है. यह चाहता है कि जम्मू और कश्मीर में एक हिंदू बहुमत उभरे, और मुस्लिम बहुमत नीचे चला जाए . भारत सरकार यहां जो करने की कोशिश कर रही है क्या आप उसे हरा सकते हैं?”