जम्मू-कश्मीर: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती पर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (PSA) लगाए जाने को उनकी बेटी ने गैर कानूनी और असवैंधानिक करार दिया है. इल्तिजा मुफ्ती ने कहा है कि बीजेपी की केन्द्र सरकार कश्मीर में साम्राज्यवादी ताकत की तरह पेश आ रही है.
7 महीने पहले जम्मू कश्मीर के 3 मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती, फारूख अब्दुल्लाह और उमर अब्दुल्लाह को अगस्त 2019 में हिरासत में ले लिया गया था. उसके बाद जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया. इसके साथ ही जम्म कश्मीर का राज्य का दर्जा कम करके उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया.
उमर अब्दुल्लाह की बहन सारा अब्दुल्लाह ने पर पीएसए को लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. इल्तिजा ने अभी ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है. ऐसा लगता है कि इल्तिजा को अदालतों में ज़्यादा भरोसा रहा नहीं है.
इल्तिजा ने कहा कि पिछले सात महीने उनके लिए एक बुरे सपने की तरह बीते हैं. मैं कहूंगी कि यह वक़्त दोहरी तबाही का था. एक तरफ मेरी मां को 6 महीने गैरकानूनी हिरासत में रखा गया. वहीं दूसरी तरफ कश्मीर से धारा 370 हटा दिया गई. पिछले 6 महीने में जिस तरह से सरकार ने कश्मीरियों पर ज़ुल्म किया है वो तबाही ही है.
इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, “पिछले साढ़े 6 महीने बेहद मुश्किल भरे रहे हैं. मेरे लिए व्यक्तिगत तौर यह समय बेहद मुश्किल रहा है क्योंकि मेरी मां को जेल में रखा गया है.”
पीएसए के खिलाफ कोर्ट जाने के मसले पर इल्तिजा का कहना था कि महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाना पूरी तरह से गैर कानूनी है. लेकिन आपने देखा कि कोर्ट का रैवया क्या रहा है. कोर्ट लगातार मामले को टालता रहा है. देखते हैं उमर साब के मामले में क्या होता है, लेकिन कोर्ट में मुझे बहुत भरोसा बचा नहीं है.
इल्तिजा ने कहा कि उन्हें भारत के संविधान में पूरी आस्था है. उन्होंने कहा कि वो एक आजाद मुल्क में पली बढ़ीं हैं और संविधान ही है जिसकी वजह से उन्हे वो कहने की आजादी है जो वो कह रही हैं. लेकिन पिछले दो तीन साल में आजादी का वो अहसास कम हुआ है.
उनका कहना था कि दरअसल समस्या उन संस्थाओं के साथ है. चाहे आप सरकार की बात करें या फिर अदालतों की. अदालतें सरकार के एक अंग की तरह से काम कर रही है, उन्हे ऐसा नहीं होना चाहिए. ये संस्थाएं संविधान की अनदेखी कर रही हैं.