चंदन मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार),
रांची: झारखंड भाजपा के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट) बनाने का फरमान जारी किया है. भाजपा ने कार्य समिति की बैठक में यह फैसला भी ले लिया है. शैडो कैबिनेट आगामी मानसून सत्र के पहले आकार लेगा और आगे भी काम करता रहेगा. सूबे की हेमंत सोरेन सरकार के हर विभाग के मंत्री को घेरने और विभागीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भाजपा का यह छाया मंत्रिमंडल काम करेगा. छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में भी यह प्रयोग किया जा रहा है. भाजपा का यह नया शिगुफा कितना कारगर होगा, यह आनेवाला वक्त बताएगा. लेकिन छाया मंत्रिमंडल का इतिहास रहा है कि यह अब तक कारगर साबित नहीं हुआ है. छाया मंत्रिमंडल के तहत मुख्य विपक्षी दल अपने सदस्यों को उसी तरह विभिन्न विभागों का प्रभार देता है जिस तरह सरकार अपने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा करती है.
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के छाया मंत्रिमंडल की सफलता हमेशा से ही संदिग्ध रही है क्योंकि इस छाया मंत्रिमंडल की न तो वैधानिकता होती है और न ही किसी तरह का विशेषाधिकार होता है. ऐसे में यह प्रतिपक्ष से कहीं बड़ी भूमिका नहीं निभा पाएगा. वैसे भी प्रतिपक्ष की भूमिका कारगर ढंग से निभायी जाए तो इस तरह के नए ड्रामेबाजी की जरूरत नहीं पड़ेगी.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के बाद भाजपा का प्रयोग
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह का दावा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के छाया मंत्रिमंडल का प्रयोग काफी सफल रहा है. लिहाजा झारखंड में भी यह प्रयोग कर भाजपा यहां हेमंत सरकार को घेरेगी. छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सिंह सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने छाया मंत्रिमंडल बनाया था. छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल ने उस समय कहा था कि राज्य में जिस तरीके से भाजपा सरकार काम कर रही है, यहां हर कहीं भ्रष्टाचार नज़र आ रहा है. छाया मंत्रिमंडल में कांग्रेस के अलग-अलग विधायकों को सत्तारुढ़ सरकार के अलग-अलग विभाग के मंत्रियों पर पूरी तरह से नज़र रखने और उनकी एक-एक योजना और कार्य की पूरी जानकारी रखने का जिम्मा दिया गया था.
क्या है शैडो कैबिनेट
छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट) की शुरुआत ब्रिटेन में 1937 में हुई थी, जिसे ऑफिशियल लॉयल अपोजिशन का नाम दिया गया था. आज की तारीख़ में कम से कम दो दर्जन ऐसे देश हैं, जहां छाया मंत्रिमंडल अपने अस्तित्व में है. देश के अंदर राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में भी छाया मंत्रिमंडल बनाने की कोशिशें हुई थीं लेकिन विपक्षी दल इस छाया मंत्रिमंडल को चला पाने में विफल रहे. भाजपा ने अब तो दिल्ली में भी अरविन्द केजरीवाल सरकार के खिलाफ छाया मंत्रिमंडल बनाने का निर्णय लिया है. जल्द ही वहां भी भाजपा का छाया मंत्रिमंडल काम करना शुरू कर देगा.
क्या करेगा शैडो कैबिनेट
छाया मंत्रिमंडल में सरकार की तरह विपक्ष के विधायकों को अलग-अलग विभाग सौंपा जाता है. उस विधायक का काम होगा कि संबंधित विभाग में सरकार किस तरह काम कर रही है ? जनता की समस्याएं कैसे निपटायी जा रही है ? विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला तो नहीं है? विभाग की योजनाएं जमीनी जरूरत के हिसाब से बन रही हैं या नहीं? यह छाया मंत्रिमंडल विधानसभा सत्र से लेकर सत्र की समाप्ति के बाद भी काम करता रहेगा.
संविधान विशेषज्ञ की राय
छाया मंत्रिमंडल की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं : अयोध्या नाथ मिश्र
संवैधानिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ अयोध्या नाथ मिश्र का कहना है कि छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट) की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है. इसका भौतिक और व्यावहारिक अस्तित्व नहीं होता है. अगर यह निगरानी के लिए काम करता है तो इसमें कैबिनेट (मंत्रिमंडल) शब्द लगाने की जरूरत नहीं है. लोकतंत्र में सरकारों का आना-जाना संवैधानिक प्रक्रिया है. यह जनमत पर आधारित है. कोई भी व्यवधान जनमत का अनादर होगा. यदि सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करना हो विपक्षी दल अलग-अलग समिति बनाकर मूल्यांकन कर सकता है.