रांची 03 जूलाई: भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के चार अफसरों पर गंभीर आरोप है। इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। डीएफओ से लेकर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) स्तर के अफसर तक आरोपित हैं। इन अफसरों पर पौधरोपण में गड़बड़ी, बांस गैबियन लगाने में अनियमितता और जंगल की जमीन की हेरा-फेरी करने का आरोप है। विभागीय कार्यवाही चलने के कारण अब तक इन्हें प्रोन्नति नहीं मिल पाई है। आरोप के कारण 1988 बैच के आइएफएस अफसर अब तक डीएफओ रैंक में ही रखे गए हैं।
किस अफसर पर क्या है आरोप
आरके सिन्हा: 1988 बैच के आइएफएस अफसर आरके सिन्हा पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव रहते हुए अनियमितता का आरोप लगा। इसके बाद लातेहार में डीएफओ रहते हुए वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा। इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही जारी है। 1988 बैच के होते हुए भी अब तक डीएफओ के पद पर ही तैनात हैं।
पारितोष उपाध्याय : पारितोष उपाध्याय वन संरक्षक (सीएफ) रैंक के अफसर हैं। उपाध्याय 1992 बैच के हैं। इन पर बांस गैबियन में अनियमितता बरतने का आरोप है। विभागीय कार्यवाही चलने के कारण इनकी भी प्रोन्नति लंबित है। एक सप्ताह पहले इनकी सेवा राज्य सरकार ने वन विभाग को सौंप दी। इससे पहले वे आजीविका मिशन में सीईओ के पद पर थे।
राजीव रंजन : 1998 बैच के आईएफएस अफसर हैं। इनके खिलाफ पौधरोपण में गड़बड़ी और जंगल की जमीन हेरा-फेरी करने का आरोप है। मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी शिकायत की गई थी। मुख्यमंत्री ने इन्हें बदलने का आदेश दिया था। हजारीबाग में 1600 एकड़ वन भूमि के गायब होने का मामला इनसे जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री के आदेश के लगभग दो माह बाद इन्हें हजारीबाग से हटाकर रांची में डीएफओ वाइल्ड लाइफ के पद पर पदस्थापित किया गया। विभागीय कार्यवाही चलने के कारण इन्हें भी प्रोन्नति नहीं मिल पायी है.
पीसी मिश्रा: अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) रैंक के अफसर पीसी मिश्रा के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही चल रही है। खेल गांव में हुए घोटाले में इनका मामला निगरानी में भी चल रहा है। मिश्रा इस साल 28 फरवरी को रिटायर हुए हैं।
पूर्व आइएफएस अफसरों का भी आरोपों और विवादों से रिश्ता
आइएफएस अफसर वी जयराम रिटायर तो हो गये हैं, लेकिन वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ अब तक क्रिमिनल केस चल रहा है। सरकार ने इन्हें फरार भी घोषित किया था। जेल भी गये। इसके अलावा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अखिलेश शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक रैंक के अफसर पी पुग्लेंदी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रैंक के अफसर महेंद्र कर्दम, पूर्व पीसीसीएफ प्रदीप कुमार, सीपी खंडूजा , बीएन द्विवेदी, सत्यजीत सिंह, केएन ठाकुर और यूएन विश्वास भी आरोपों से लदे-फदे रहे। सेवानिवृत्ति के कारण इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की फाइल बंद कर दी गई है।