संपन्न बच्चों के तीर की मरम्मति कर खुद के धनुष को करती हैं दुरूस्त
रांची: हाथों में टूटे धनुष थामे धनबाद की डिगबाडीह की रहने वाली नाजिया परवीन के मन में अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धा में मेडल जीतने की जज्बा अब भी बरकरार है, लेकिन घर की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और पिता की खराब तबीयत की वजह से वह इन दिनों जूते पॉलिश करने की विवशता से जूझ रही है.
तीरंदाजी के जूनियर और सीनियर समेत राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर की स्पर्द्धा में पदक जीत चुकी नाजिया परवीन ने बताया कि बचपन से ही तीरंदाजी में एक मंजिल हासिल करने की उड़ान को पहली कामयाबी वर्ष 2013 के अक्टूबर में तब मिली, जब धनबाद जिले के जामाडोवा स्थित टाटा सेंटर में तीरंदाजी प्रशिक्षण के लिए उसे दाखिला मिला.
कुछ ही महीने में उन्होंने निशानेबाजी में महारत हासिल करते हुए वर्ष 2014-15 के जूनियर नेशनल में बड़ी कामयाबी हासिल की और मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्पर्द्धा में हिस्सा लेने गयी. नाजिया परवीन ने सब जूनियर नेशनल इवेंट में सिल्वर मेडल जीता, बाद में एसजीएफआई स्पर्द्धा में कैंप में पहुंचने के बावजूद तकनीकी कारणों से वह खेल में हिस्सा नहीं ले सकी.
नाजिया ने खेलो इंडिया 2016 में तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल हासिल करने में सफलता हासिल की. इसके बाद भी लगातार वह कई राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्पर्द्धा में पदक हासिल करने में कामयाबी हासिल की.
इस बीच नाजिया का धनुष पुराना हो गया और टूट गया, उस टूटे धनुष की मरम्मति कर उसने कई स्पर्द्धाओं में हिस्सा लिया, परंतु टूटे धनुष से सटीक निशाना और ज्यादा दूरी वाले स्पर्द्धा में वह पिछड़ जाती हैं, इसके बावजूद वह हार नहीं मानी, जामाडोवा स्थित टाटा सेंटर में प्रशिक्षण लेने वाले 25-26 अन्य संपन्न खिलाड़ियों के टूटे हुए तीर की मरम्मति करती है.
इसके एवज में कुछ खिलाड़ियों की ओर से अपनी इच्छा और सामर्थ्य क्षमता के अनुसार 50 से 100 रुपया नाजिया को दे दिया जाता है, इस पैसे से वह अपने धनुष की मरम्मति कराती है. वहीं अपने बीमार पिता का ईलाज कराने तथा घर का खर्च चलाने में भी सहयोग करती है. नाजिया ने राज्य के तत्कालीन खेलमंत्री अमर बाउरी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भी व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर सहयोग का आग्रह किया, लेकिन अब तक उसे कहीं से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया है.
नाजिया ने कहा कि नेशनल स्तर की स्पर्द्धाओं में हिस्सा लेने और पदक जीतने के बाद अब वह तीरंदाजी के कंपाउंड और रिकर्व स्पर्द्धा में हिस्सा लेकर झारखंड और देश का नाम दुनिया में रौशन करना चाहती हैं.