रांचीः झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव की वोटिंग से लेकर परिणाम तक की चर्चा आम से खास लोगों के बीच हो रही है. कौन जीतेगा… कौन हारेगा , किसकी सरकार बनेगी. इसके अंकगणित में कमोबेश सभी उलझे हुए हैं. ऐसे में झारखंड की ब्यूरोक्रेसी भी अछूती नहीं है. कमोबेश सभी अफसर अपने-अपने सूत्रों को भी टटोल रहे हैं कि रिजल्ट क्या होगा. झारखंड कैडर के आईएएस में वैसे तो लॉबी की परंपरा पुरानी रही है. लेकिन, हाल के कुछ साल में लॉबी काफी सक्रिय है. आईएएस एसोसिएशन भी है लेकिन इसकी गतिविधि नहीं के बराबर है. बस लॉबी ही काम करती है. हर लॉबी को बखूबी मालूम है कब किस पर चोट करना है.
सत्ता के साथ कदमताल करने वाली लॉबी
अफसरों के बीच एक ऐसी लॉबी है जो हमेशा सरकार के साथ कदमताल करना चाहती है. इसमें अपर मुख्य सचिव और सचिव रैंक के अफसर हैं. इस लॉबी को मालूम है किसे-कहां जगह देनी और किसे सत्ता के गलियारे से दूर रखना है, वर्तमान में यह लॉबी काफी सक्रिय है. यह लॉबी भी चुनावी अंक गणित को सुलझाने में लगी है.
वक्त के साथ चोट करने वाली लॉबी
दूसरी लॉबी सक्रिय तो है लेकिन वक्त के साथ चोट करती है. इस लॉबी में ज्यादातर वैसे अफसर हैं, जिनकी छवि ईमानदार मानी जाती है. इस लॉबी में शामिल अफसर एक्शन लेने के साथ रिएक्शन भी बेहतर तरीके से करते हैं. इस लॉबी की माने तो सरकार से नजदीकी भी नहीं और न ही दूरी. इस लॉबी में शामिल अधिकांश अफसर सरकार के भ्रष्ट अफसरों की आंखों में किरकरी बने रहते हैं. क्योंकि उनके भ्रष्ट क्रियाकलापों पर कलम चला देते हैं. इस कारण सत्ता भी इनसे थोड़ी डरी-डरी ही रहती है.
तीसरी लॉबी
इस लॉबी में सचिव रैंक के अफसर हैं. इसमें एक अफसर लोगों को काफी मोटिवेट भी करते हैं. यह अलग बात है कि वह कई बार सोशल साइट्स पर सक्रिय रहते हैं. प्रचार पाने के लिए कुछ भी कर देते हैं. साथ ही नये बैच के अफसरों को साथ लेकर चलने में भी माहिर हैं. पोस्टिंग के लिए अपना पाला बदलते रहते हैं. समय के साथ बदलने में यह लॉबी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती.
चौथी लॉबी
इस लॉबी के अधिकांश अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है. ये वेट एंड वॉच की पॉलिसी पर काम करते हैं. इन्हें बस सरकार बदलने का इंतजार है. इन लॉबी में शामिल अफसर हर दिन सरकार की गतिविधियों की टोह भी लेते रहते हैं. पूछने पर कहते भी हैं समय का इंतजार कीजिये, समय आयेगा तो जरूर आ जाऊंगा.