उत्तर प्रदेश: प्रवासी मजदूरों के लिए बसें मुहैया कराने को लेकर कांग्रेस पार्टी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आरोप-प्रत्यारोप थम नहीं रहे हैं. कभी बसों की लिस्ट को लेकर तो कभी लिस्ट में बसों की संख्या को लेकर योगी सरकार कांग्रेस पर सवाल खड़ा कर रही है, तो कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जानबाझूकर बसों की मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया है. कांग्रेस और यूपी सरकार के बीच चिट्ठी-पत्री का ही दौर चल रहा है.
दोनों के बीच नौ पत्रों का आदान-प्रदान हो चुका है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की तरफ से मंगलवार की शाम एक बार फिर पत्र लिखा जिसमें आरोप लगाया गया है कि आगरा के पास ऊंचा नागला बॉर्डर पर बसे खड़ी हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें आगे नहीं जाने दे रहा है.
शाम पौने चार बजे लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि हम बसों को लेकर करीब तीन घंटे से यूपी बॉर्डर, ऊंचा नागला पर खड़े हैं लेकिन आगरा प्रशासन एंट्री ही नहीं दे रहा है. हम एक बार फिर आपसे कहना चाहते हैं कि ये समय संवेदनशीलता दिखाने का है.
पत्र में कहा गया है कि यूपी के लाखों श्रमिक भाई-बहन परेशान हैं. सब मिलकर ही इस आपदा की चुनौती से निपट सकते हैं. श्रमिकों को राहत देने के लिए और इस स्थिति को खत्म करने के लिए कृपया प्रशासन अनुमति पत्र भेजे.
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ट्रांसपोर्टरों को धमका रही है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार के आरटीओ उन ट्रांसपोर्टरों को धमकी दे रहे हैं, जिन्होंने बसें उपलब्ध कराई हैं. इससे पहले कई दौर की चिट्ठियों के बाद राज्य सरकार ने कांग्रेस से दिन के 12 बजे नोएडा और गाजियाबाद में पांच-पांच सौ बसें उपलब्ध कराने को कहा था.
इसके जवाब में कांग्रेस ने कहा कि बसें राजस्थान से आ रही हैं, इसलिए ये शाम पांच बजे तक उपलब्ध हो सकेंगी. कांग्रेस महासचिव के निजी सचिव संदीप सिंह की तरफ से अपर गृह सचिव अवनीश अवस्थी को देर रात कड़ी चिट्ठी के बाद यूपी सरकार ने ये बसें जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराने को कहा था.
इस बीच, योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बसों की जो सूची दी है उसमें तिपहिया और टाटा के मैजिक वाहन हैं.
वहीं, लखनऊ आरटीओ की ओर से पुलिस को वाहनों के बारे में जो जानकारी दी गई है उसमें साफ है कि कांगेस की ओर से जो 1049 वाहनों की संख्या दी गई है, उसमें 879 तो सीधे तौर पर बस हैं और 59 स्कूल बस हैं. यानी 938 बसें तो प्रशासन द्वारा ही सत्यापित की गई हैं. आरटीओ ने इसमें कहा है कि वाहन डाटा बेस द्वारा इन वाहनों के सत्यापन के बाद यह आंकड़े सामने आए है. इसके अनुसार बाकी अन्य तरह के वाहन हैं.
इससे पहले सोमवार को देर रात से लेकर मंगलवार की सुबह तक चली चिट्ठी-पत्री के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से ऑफर किए गए एक हजार बसों के प्रस्ताव को मान लिया था. प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से उन बसों की डिटेल के साथ ड्राइवरों की सूची और दूसरे डिटेल मांगे थे.
कांग्रेस ने इनकी सूची और डिटेल मुहैया करा दी. लेकिन कुछ ही घंटों में यूपी सरकार ने उन बसों को मंगलवार की सुबह तक लखनऊ भेजने को कह दिया. इसके बाद सवाल यह भी उठा कि जब भारी संख्या में प्रवासी गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर की सीमाओं पर फंसे हैं तो बसों को लखनऊ में हैंडओवर करने को क्यों कहा जा रहा है. इस लालफीताशाही का विरोध करते हुए प्रियंका गांधी ने रात 2 बजकर 10 मिनट पर उत्तर प्रदेश सरकार के अपर सचिव, गृह अवनीश अवस्थी को चिट्ठी लिखी.
प्रियंका की चिट्ठी के मुताबिक सोमवार को रात 11 बजकर 40 मिनट पर अवस्थी की ओर से संदेश मिला, जिसमें बसों को तमाम दस्तावेजों के साथ 10 बजे सुबह तक लखनऊ में पहुंचने की अपेक्षा की गई. खाली बसें लखनऊ भेजना कहीं से उचित नहीं है.
प्रियंका ने अपर सचिव-गृह, अवस्थी को लिखे पत्र में लिखा है कि प्रवासी मजदूर यूपी की सीमाओं पर गाजियाबाद और नोएडा में फंसे हैं. लाखों की संख्या में मजदूरों की भीड़ और उनकी विकट हालत को टीवी के जरिए पूरा देश देख रहा है, तो ऐसे में खाली बसों को लखनऊ में मंगाने का औचित्य क्या है.
उन्होंने कहा है कि यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है बल्कि हद दर्जे की अमानवीयता और गरीब विरोधी मानसिकता है. प्रियंका ने सरकार के इस रुख को पूरी तरह से राजनीति प्रेरित बताया है और आरोप लगाया है कि गरीबों की मदद में शायद यूपी सरकार की रुचि नहीं. वहीं इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर ओछी और नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें बसों की कोई सूची मुहैया नहीं कराई गई.