नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए. कैबिनेट की बैठक में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को भी मंजूरी दी गई है.
कैबिनेट के फैसलों के बारे में मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने यह जानकारी दी. इस योजना के अंतर्गत मौजूदा वित्त वर्ष में 1,584 करोड़ रुपये खर्च होंगे. वहीं, पूरी योजना में साल 2020 से 2023 की अवधि के दौरान कुल 22,810 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस योजना से 58.5 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा.
संतोष गंगवार ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भर भारत योजगार योजना एक तरफ नए रोजगार सृजन की ओर आवश्यक प्रोत्साहन दे रही है. वहीं, दूसरी तरफ हमने सीधे उद्योगों के रूप में उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाने का भी काम किया है.
इस योजना के जरिए हमने औपचारिक से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में जाने का काम किया है. हमारी सरकार जब 2014 में आई, तब देश में औपचारिक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत छह करोड़ संगठित कर्मचारी काम करते थे. इस समय औपचारिक अर्थव्यवस्था के तहत संगठिक कर्मचारियों की संख्या करीब 10 करोड़ है.’
गंगवार ने आगे कहा, ‘इस योजना के तहत हमने उन कर्मचारियों को चुना हैं, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है. इस योजना के माध्यम से हम गरीब कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बताने का काम करते हैं. यह योजना उन सब पर लागू होगी जो, एक अक्टूबर, 2020 से 30 जून 2021 तक नौकरी पर रखे जाएंगे. इनका 24 फीसद ईपीएफ अंशदान सरकार देगी.’
योजना की प्रमुख बातें
- इस योजना के तहत लाभार्थी नए कर्मचारी होंगे
- 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पर ईपीएफओ-पंजीकृत प्रतिष्ठान में रोजगार पाने वाला कोई भी नया कर्मचारी
- 15,000 रुपये से कम का मासिक वेतन पाने वाले ईपीएफ सदस्य जिन्होंने 01.03.2020 से 30.09.2020 तक कोविड महामारी के दौरान रोजगार गंवाया और 01.10.2020 से या उसके बाद कार्यरत है
योजना के तहत नई नियुक्तियां करने वाले एंप्लॉयर्स को सब्सिडी दी जाएगी. सब्सिडी इंप्लॉइज और इंप्लॉयर्स द्वारा दो साल के लिए किए गए भविष्य निधि योगदान यानी पीएफ को कवर करने के लिए होगी.
केंद्र सरकार निम्नलिखित पैमाने पर 01.10.2020 या उसके बाद लगे नए पात्र कर्मचारियों के संबंध में दो साल के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी:
- 1000 कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठान, कर्मचारी का योगदान (वेतन का 12%) और नियोक्ता का योगदान (वेतन का 12%) कुल वेतन का 24%
- 1000 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने वाले प्रतिष्ठान, केवल कर्मचारी के ईपीएफ का अंशदान (वेतन का 12%)
यह योजना 1 अक्टूबर, 2020 से प्रभावी होगी और 30 जून, 2021 तक लागू रहेगी. साथ ही कुछ अन्य पात्रता मानदंडों को भी इसमें पूरा करना होगा, और केंद्र सरकार नए योग्य कर्मचारियों के संबंध में दो साल के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी.
इस योजना के तहत करीब 58.5 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. मार्च 2020 से अगले साल तक जो लोग नौकरी पर लग रहे हैं, इनका EPF अंशदान सरकार की ओर से दिया जाएगा. जिस कंपनी में 1000 से कम कर्मचारी हैं उनका 24 फीसदी EPF अंशदान सरकार देगी.