बिजली खरीद के लिए ऊर्जा मंत्रालय आरबीआई और राज्य सरकार के बीच था त्रिपक्षीय समझौता
रांची:- झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है अब राज्य सरकार बिजली खरीद के लिए ऊर्जा मंत्रालय और आरबीआई के साथ हुए त्रिपक्षीय समझौते से बाहर निकलने का निर्णय ले लिया है बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कैबिनेट में प्रेस ब्रीफिंग करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने कहा कि यह निर्णय लोकहित व जनता के हितों को देखते हुए लिया गया है.उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत 15 वे वित्त आयोग के तहत मिलने वाली राशि के फंड में कटौती की जाती थी. इस समझौते के तहत राज्य सरकार की बिजली वितरण कंपनी केंद्रीय बिजली उत्पादन कंपनियों सेबिजली खरीदती है तो उसके एवज में भुगतान करना होता है लेकिन समझौते के तहत नियत अवधि के बाद ऊर्जा मंत्रालय को यह शक्ति प्रदान होती है कि वह आरबीआई को पत्र देकर सूचित कर सकता है कि अब समय आ गया है कि राशि की कटौती कर सके. इसके बाद आरबीआई विभिन्न किस्तों में राशि की कटौती करती है यह राशि की कटौती राज्य के फंड से की जाती है राशि की कटौती कर आरबीआई उस राशि को ऊर्जा मंत्रालय के विभिन्न उपकरणों को दे देता है. ऊर्जा सचिव ने बताया कि राज्य सरकार ने लोकहित और वित्तीय परिस्थिति को देखते हुए या निर्णय लिया है उन्होंने कहा कि अब बिजली खरीदेंगे तो उसका भुगतान भी करेंगे बिजली की कटौती नहीं होने दी जाएगी. कैबिनेट में दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन रूल्स की स्वीकृति दी गई .कार्मिक सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस नियमावली को तैयार करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन स्तरीय कमेटी बनाई गई थी इस कमेटी के रिकमेंडेशन के आधार पर नियमावली तैयार की गई है इस नियमावली में कहा गया है कि प्रारंभिक परीक्षा में सामान्यत: 15 गुना अभ्यर्थियों का चयन होगा अनारक्षित वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स डिसाइड होगा .वही इंटरव्यू में ढाई गुना अभ्यर्थी बुलाए जाएंगे .हिंदी और अंग्रेजी भाषा की परीक्षा क्वालीफाइंग नेचर की है इसलिए फाइनल मेरिट लिस्ट में इसका मार्क्स ऐड नहीं होगा उन्होंने बताया कि पहले से जो नियम चला रहा था वह 1951 का नियम था जिसके तहत परीक्षा ली जाती थी समय-समय पर राज्य सरकार संकल्प के माध्यम से नियमों में संशोधन करती थी.