खूंटी: मुरहू प्रखंड अंतर्गत कोड़ाकेल पंचायत के इंदिरा कॉलनी के डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों ने श्रमदान कर मुरहू नाले पर दो बोरीबांध बनाया. इनमे से एक बोरीबांध 100 फीट लंबा, 06 फीट चौड़ा और सात फीट उंचा है. इस एक बोरीबांध के बनने से मुरहू नाले में लगभग आधे किमी दूर तक पानी जमा हो गया है.
दूसरा बोरीबांध भी इसी नाले पर बनाया गया है. इस वर्ष गर्मी के दिनों में इस कॉलनी में रहने वाले 72 परिवार के लोगों को नहाने-धोने के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी. हर वर्ष कॉलनी के लोगों को गर्मी के दिनों में नहाने-कपड़े धोने के लिए बगल के गांव करंजटोली और कोड़ाकेल जाना पड़ता था. दो बोरीबांध बनने से मुरहू के सोमार बाजार मुहल्ले और पीड़ीटोली के किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी. किसान लगभग 25 एकड़ में तरबूज और सब्जी की खेती करेंगे.
महिलाओं में ज्यादा दिखा उत्साह
श्रमदान से बोरीबांध बनाते हुए कॉलनीवासी काफी उत्साहित थे. कॉलनी की महिलाओं और युवतियों ने श्रमदान करने में पुरूषों को पीछे छोड़ दिया. बोरीबांध बनाते हुए लोग नागपुरी और हिंदी गीत भी साईट पर बजाते हुए झुम रहे थे. जैसे ही बोरीबांध बनकर तैयार हुआ, लोगों ने हिप-हिप हुर्रे कहकर पानी पर अपनी जीत दर्ज कराई. अंत में पूरे कॉलनी के लोगों ने सामूहिक रूप से पिकनिक भी मनाया. काम खत्म होने के बाद सभी लोगों ने एक साथ मिलकर भोजन किया. इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीणों का आपसी प्रेम और भाईचारगी भी बढ़ी.
श्रमदान करने वालों में सेवा टीम के सुशील सोय, सिद्धार्थ गुप्ता, काली कुमार, कॉलनी के चरकू प्रधान, सोहरी नायक, जम्बी होरो, उम्बुलेन पुर्ती, सुनीता भेंगरा, अंजनी कुमारी, बिरबल नायक, सुमित नायक, सोनिया कुमारी, डब्लू नायक, राधामनी देवी, दसमी देवी, रूथ पुर्ती, ललीता कंडुलना, एतवारी देवी, फुलमनी देवी, अमृता कुमारी, रानी कुमारी, भाजपा नायक, कालीचरण महतो, आसरी देवी, संदेश प्रधान समेत समस्त कॉलोनीवासियों ने अपना योगदान दिया.
जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और कॉलोनीवासियों ने संयुक्त रूप से इस बोरीबांध के निर्माण में अपना योगदान दिया. जिले भर में बेकार बह जाने वाले नदी-नाले के पानी को सीमेंट की बोरियों में मिट्टी और बालू भरकर रोकने का काम जनशक्ति से जलशक्ति अभियान चलाकर किया जा रहा है. अब तक जिले में लगभग 75 बोरीबांधों का निर्माण किया जा चुका है. इससे प्रेरणा लेकर ग्रामीण भी अपने स्तर से बोरी और मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोकने लगे हैं. लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता आई है.