क्या कोरोना वायरस के इलाज में होम्योपैथी हो सकता है कारगर…?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने जिस तरह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया है पूरी दुनियां त्राहिमाम कर रही है. वहीं इससे निपटना भी उतना ही मुश्किल हो रहा है, वजह है अब तक इसका कोई वैक्सीन का ना होना.  दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामलों का आंकड़ा अब तक 66 लाख के पार पहुंच गया है और अब भी इस वायरस के जल्द ख़त्म होने की उम्मीद कम ही दिख रही है. वहीं, भारत में भी कोरोना वायरस की मरीजों का आंकड़ा दो लाख से ऊपर जा चुका है, जिससे सभी की चिंता बढ़ गई है.

जैसे-जैसे कोरोना वायरस के वैक्सीन की दौड़ तेज़ हो रही है, वैसे-वैसे शोधकर्ता और डॉक्टर इस संक्रमण का संभावित इलाज ढूंढ़ने के लिए कई तरह की दवाओं के साथ प्रयोग कर रहे हैं. इसलिए आयुर्वेद को भी वैकल्पिक उपचार के तौर पर देखा जा रहा है, क्या होम्योपैथी भी काम आ सकती है?

होम्योपैथी से कोरोना वायरस का इलाज

हाल ही में आयुश मंत्रालय ने सभी प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी कर, कोविड-19 के इलाज में पारंपरिक होम्योपैथी दवा, आर्सेनिक एल्बम 30 के उपयोग की सलाह दी थी. कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसके उपयोग की सलाह दी गई है और यहां तक कि उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में इसका उपयोग भी किया गया है.

WHO होम्योपैथी की सलाह नहीं देता

इससे पहले भी, कोरोना वायरस के इलाज में होम्योपैथी के उपयोग पर सवाल उठाए गए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन, भी कोरोना वायरस के उपचार के लिए होम्योपैथी की दवाओं के उपयोग का सुझाव या सिफारिश नहीं करता.

क्या होम्योपैथी कोविड-19 से लड़ने में कारगर है ?

विज्ञान में आज तक होम्योपैथी दवाओं के फायदों के बारे में किसी तरह का दावा नहीं किया गया है, इसलिए लोग होम्योपैथी से इलाज के बारे में असमंजस में हैं.

आर्सेनिक एल्बम 30 क्या है

आर्सेनिक एल्बम का इस्तेमाल ज़ुकाम, खांसी या फ्लू में किया जाता है. इस दवा में आर्सेनिक के काफी छोटे कण मौजूद होते हैं, जिसे लंबे समय तक फ़िल्टर्ड पानी में बार-बार गर्म किया जाता है. यह दवा भयानक सिर दर्द, सीने में जलन व दर्द, बेचैनी और डर के इलाज में भी काम आती है.

कई जगहों में होम्योपैथी का पारंपरिक इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है. होम्योपैथी की सलाह आमतौर पर इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए दी जाती है, लेकिन इसके उयोग को ज़्यादा प्रोत्साहित नहीं किया जाता. आज तक इसके इलाज को लेकर किसी तरह का क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है, इसलिए लोगों का इस पर विश्वास करना मुश्किल है.

दूसरी बात, अगर होम्योपैथी काम भी आती है, तो इसकी कोई गैरंटी नहीं कि ये सबके लिए एक तरह से ही असरदार साबित होगी. इसका असर हर शख्स पर अलग हो सकता है, इसलिए दुनियाभर में इससे इलाज शायद मुमकिन ना हो.

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