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स्वास्थ्य
जानिए कमरख (स्टार फ्रूट्स) का प्रयोग : वनौषधि – 37
प्रचलित नाम- कमरख, कर्मरङ्ग, बृहदम्ल
प्रयोज्य अंग- फल ।
स्वरूप-15-30 फूट उँचे, सदा हरित लघु वृक्ष; फल पाँच धार वाले होते हैं।
स्वाद - आम्ल ।
रासायनिक संगठन-इसके फल में-विटामिन 'ए' एवं पोटेशियम आक्सेलेट अम्ल पाया जाता है।
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जलनीम या जलब्राह्मी के औषधीय गुण : वनौषधि – 36
प्रचलित नाम - जलब्राह्मी, नीर ब्राह्मी, जलनिम
प्रयोज्य अंग- पंचांग ।
स्वरूप- मांसल लघु गुल्म, जो प्रसरण शील, तथा इनकी पर्व से मूल उत्पन्न होते हैं, यह पानी में या नमी वाले स्थानों पर प्राकृतिक रूप से उगते हैं। बैंगनी नीले पुष्प!-->!-->!-->!-->!-->…
लक्ष्मणा को पुत्र देने वाला औषधि बताया गया है: वनौषधि – 48
प्रचलित नाम- लक्ष्मणा, जिन्सेंग
प्रयोज्य अंग- मूल एवं पंचांग ।स्वरूप-लघु उपक्षुप, पत्र भिन्न वर्णी ।स्वाद- तिक्त ।रासायनिक संगठन-इस वनस्पति में पिमारा 8, ओइक अम्ल, नेनॉन, पेट्रोसेलीनीक अम्ल, एरेलोसाइड ए एवं बी, स्टीग्मान्स्टीरॉल एवं!-->!-->!-->…
इंगुदी / दीर्घकण्टा एक औषधि: वनौषधि : 35
प्रचलित नाम- हिंगोट/इंगुजा
प्रयोज्य अंग- फल, बीज तथा तैल
स्वरूप - 10-20 फूट ऊँचे वृक्ष वृक्ष, कंटकयुक्त, कांटे सीधे तथा पत्र युक्त, पत्ते संयुक्त द्वि पत्री, पत्रक अंडाकार, पुष्प सुगंधित तथा हरितवर्णी ।
स्वाद- तिक्त (मूल) मधुर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
बास या वंशलोचन क्षय, श्वासरोग और कुष्ठ रोग में लाभकारी : वनौषधि – 34
प्रचलित नाम - बांस
प्रयोज्य अंग- कांड एवं कोमल शाखाएँ।
स्वरूप- महाकाय बांस जिसकी ऊँचाई लगभग 50-60 फूट, कांड पीत स्वर्णिम मूलकांड मजबूत भूमिजन्य होते हैं।
स्वाद- कटु ।
रासायनिक संगठन इसके कांड में सायनोजेनिक ग्लूकोसाइड,!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
दांतों के लिए वरदान है पीतवर्णी या सैरेयक : वनौषधि – 33
प्रचलित नाम- कट सरैया/पीला वासाप्रयोज्य अंग- मूल एवं पत्र ।
स्वरूप- लघु क्षुप, अतिशाखीत तथा कंटक युक्त
पुष्प पीतवर्णी ।श्वेतपुष्प-सहचरपीतपुष्प-कुंटकरक्तपुष्प-कुरबकनीलपुष्प-दासी, वाण
स्वाद- तिक्त ।
रासायनिक संगठन- इस वनस्पति!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
शरद पूर्णिमा 2022: इस वर्ष 9 अक्टूबर रविवार को है शरद पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। वहीं शरद ऋतु के प्रारंभ की अनुभूति शरद पूर्णिमा के दिन से होती है। शारदीय नवरात्रि के बाद पड़ने वाली पहली पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत!-->…
जानिएशरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने के 5 कारण
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र की रोशनी मे खीर रख कर खाने की विशेष परंपरा है । आखिर इस दिन हम खीर क्यों खाते हैं? क्या है इसका वैज्ञानिक कारण और रहस्य।
चंद्र से बरसता है अमृत : कहते हैं कि इस दिन आसमान से चंद्र से अमृतमयी किरणों का आगमन होता!-->!-->!-->…
लिली एक आयुर्वेदिव औषधि: वनौषधि – 32
प्रचलित नाम- बेलाडोना लिली
प्रयोज्य अंग-कंद ।
स्वरूप- लघु गुल्म, पत्ते लम्बे मूल पत्री
पुष्प सफेद या लाल, लम्बे पुष्प विन्यास दंड के ऊपर गुँथे हुए होते हैं ।
स्वाद - विषैला, कटु ।
रासायनिक संगठन इसके कंद में एलकलॉयड्स!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
शरद पूर्णिमा को इस तरीके से खीर बनाकर खाने से मिलती है असाध्य रोगों से मुक्ति
शरद पूर्णिमा के महत्व से हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन इस दिन खीर किस तरह से बनाकर कैसे खाना चाहिए यह शायद ही कोई जानता हो। इस दिन कोई खिचड़ी तो कोई खीर बनाकर कहा लेते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा की इस दिन का विशेष महत्व क्या!-->…