सीसीएल के चंद्रगुप्त कोयला परियोजना के लिए अपयोजित 417 एकड़ भूमि मामले में सीआईडी ने किया पुक्षताक्ष
हज़ारीबाग़ – हजारीबाग एवं चतरा जिले के अंतर्गत सीसीएल के चंद्रगुप्त ओसीपी कोयला खनन परियोजना के लिए वन भूमि नवीकरण प्रस्ताव हेतु अंचल केरेडारी के मौजा पचड़ा, चट्टी बरियातू बुकरू,सिझुआ एवं जोरदार के भूमि के 417 एकड़ भूमि की प्रकृति नहीं मिलने एवं प्रपत्र एक का प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने के मामले में सीसीएल के अधिकारियों एवं एमडीओ के जीएम ने सीआईडी में अपना लिखित पक्ष दिया है । सीसीएल की तरफ से जीएम अमरेश कुमार और संजीव कुमार तथा एमडीओ सुशी इंफ्रा माइनिंग लिमिटेड की तरफ से जीएम आर एस यादव उपस्तिथ हुए। सीआईडी के सूत्रों के अनुसार सीसीएल के अधिकारियों ने भूमि संबंधी विवरण के दस्तावेजों में छेड़छाड़ और ओवरराइटिंग की बात को स्वीकार करते हुए यह कहां है कि अंचल निरीक्षक ने सूची में सुधार किया था । जब सीआईडी के अधिकारियों ने सीसीएल के अधिकारियों से यह पूछा कि यह आपको कैसे पता है कि अंचल निरीक्षक ने इसमें छेड़छाड़ किया है कि सुधार किया है ? किसकी सूची में अंचल निरीक्षक द्वारा छेड़छाड़ किया गया ? और जब सुधार किया है तो इसकी फ्रेश सूची क्यों नहीं बनाया और इस पर अंचलाधिकारी और सीसीएल अधिकारियों ने आपत्ति क्यों नहीं किया ? जिस सूची में अंचल निरक्षक के द्वारा कथित सुधार की बात कह रहे हैं वह किसके द्वारा बनाया गया था ? और किस रिकॉर्ड के आधार पर ? इस सवाल पर सीसीएल के अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया । ज्ञात होके एक्टिविस्ट मंटू सोने की शिकायत पर डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सीआईडी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है ।सीसीएल के अधिकारियों द्वारा उपरोक्त परियोजना के बारे में जो लैंड शेड्यूल वन विभाग को दिया गया है,उसमें ओवर राइटिंग और छेड़छाड़ क्यों किया गया है ? इसका जवाब भी उनके द्वारा नही दिया गया ?
बिना पत्रांक, दिनांक के प्रपत्र दो की वचनबद्धता पत्र को भी स्वीकारा
सीआईडी के अधिकारियों ने पूछताछ के क्रम में जब सीसीएल के अधिकारियों के समक्ष तत्कालीन मुख्य प्रबंधक मनोज कुमार, सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड आम्रपाली चंद्रगुप्त क्षेत्र हेतु वन भूमि अपयोजन हेतु प्रपत्र 1 में प्रमाण पत्र निर्गत करना बताया गया है। वहीं सीसीएल के अधिकारी द्वारा उपरोक्त भूमि को वन भूमि से बाहर बताते हुए प्रपत्र 2 के लिए वचनबद्धता जारी किया गया,जिसमें पत्रांक दिनांक और परियोजना प्रस्ताव संख्या अंकित क्यों नही है ? उनके द्वारा किस आधार पर उक्त भूमि को वन भूमि नहीं बताया गया है ? इसमें पत्रांक दिनांक का उल्लेख क्यों नहीं है ? के सवाल पर उपरोक्त पत्र को सीसीएल के अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया है कि यह पत्र हमारे रिकॉर्ड में है परंतु उसमें उपरोक्त कलम क्यों खाली है इसका कोई जवाब नहीं दे सके ?
वन भूमि अपयोजन हेतु उपायुक्त को सीसीएल ने दिया आवेदन और वचनबद्धता पत्र दो में कह रहा वन भूमि नही है ?
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सीसीएल के अधिकारियों द्वारा दिए दस्तावेजों को पढ़ने के बाद सीआईडी के अधिकारियों ने जब यह पूछा कि चंद्रगुप्त ओसीपी कोयला खनन परियोजना के लिए वन भूमि नवीकरण प्रस्ताव हेतु अंचल केरेडारी के मौजा पचड़ा, चट्टी बरियातू बुकरू,सिझुआ एवं जोरदार के भूमि के 417 एकड़ भूमि के विवरण के साथ अप्रैल 2022 में सीसीएल के द्वारा उपायुक्त हजारीबाग को वन भूमि अभियोजन हेतु आवेदन दिया गया और उस आवेदन में वन भूमि की प्रकृति के संबंध में कोई विवरण उपलब्ध नहीं था तो संबंधित सूची जिसमें सीसीएल के अधिकारियों को प्लॉट नंबर रकवा नंबर और थाना नंबर ही उपलब्ध है और सिर्फ भूमि की प्रकृति उपलब्ध नहीं है यह सूची आपने किस रिकॉर्ड के आधार पर बनाया ? और उपायुक्त हजारीबाग को उपलब्ध करवाया ? जब आप आवेदन में ही वन भूमि अपयोजन कह रहे हैं तो प्रपत्र 2 के वचनबद्धता में 417 एकड़ भूमि को वन भूमि नहीं होने का दावा कैसे कर रहे हैं ? इस सवाल पर भी सीसीएल के अधिकारियों के द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया वहीं एमडीओ सुशी इंफ्रा माईनिंग के जीएम आर एस यादव ने सीआईडी द्वारा एमडीयू नियुक्ति के संबंध में मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाया वहीं अपने लिखित जवाब में यह स्वीकार किया कि ईसी और एफसी क्लियरेंस लेने के लिए सीसीएल और एमडीओ की अलग-अलग भूमिका निर्धारित है । किस नियम और कानून के तहत परियोजना से संबंधित अनापत्ति पत्र मिलने के पूर्व एमडीओ नियुक्त किया जा सकता है, उससे संबंधित कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं करवाया गया ।
मंटू सोनी की रिपोर्ट