रांची: आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा है कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में केंद्र सरकार को रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को गति देने के लिए उपाय लागू करना चाहिए.
सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च 2020 से लागू लॉकडाउन से 203 लाख करोड़ रुपये वाली अर्थव्यवस्था के सामने देश में बढ़ रही बेरोजगारी और लोगों की कम होती आय से लड़ने की अब चुनौती भी उत्पन्न हो गयी है. पहले दो चरणों में 40 दिन की पूर्ण तालाबंदी और कुछ रियायतों के साथ तीसरे चरण में 14 दिन की बंदी की कीमत देश की अर्थव्यवस्था को जीडीपी में गिरावट बढ़ती बेरोजगारी तथा लोगों की आमदनी में कमी के रूप में चुकानी ही पड़ेगी, क्योंकि पहले जान बचाना हमारी स्वाभाविक प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारों ने कोरोना से लड़ने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच आर्थिक कामकाज बंद रहने से सरकारों के राजस्व आय में भारी गिरावट दिख रही है. राज्य की सरकारों को तो यह ज्यादा ही प्रभावित करती है. पेट्रोल, डीजल, आबाकारी, जीएसटी, खनन और स्टांप रजिस्ट्रेशन से होने राज्यों को होने वाली आय लगभग ठप्प है, जबकि केंद्र सरकार के पास इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, मैन्युफैक्चरिंग और इंपोर्ट ड्यूटी जैसे आय के सोर्स रहते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को कोरोना से लड़ने में अपने संसाधनों को झोंकना पड़ रहा है,जो उनके बजटीय प्रावधान में आकलित नहीं था. राज्यों के प्रतिबद्ध खर्चे यथा वेतन-पेंशन है, जिनमें कोई कटौती नहीं की जा सकती, विकास मद के पूंजीगत खर्चे में कटौती करने से राज्य हित प्रभावित होगा. इसलिए राज्यों को केंद्र सरकार से भारी राजकोषीय समर्थन की जरूरत है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार से कोई राजकोषीय समर्थन राज्यों को नहीं मिला है.
सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि केंद्र के राजस्व में भी भारी गिरावट आएगी. राज्यों को वित्तीय समर्थन देने के लिए उद्यमों को समर्थन देने के लिए, ठहर गयी आर्थिकी को चालू करने के लिए, रोजगार के उपाय करने के लिए, गरीब आबादी को राहत पहुंचने के लिए, बहुत बड़ी धनराशि की जरुरत है, जिसका उपाय भी केंद्र की सरकार को ही बुद्धिमता से करना होगा. केंद्र सरकार खर्च में कटौती करके, राजस्व में आयी कमी को पूरा करने की गलती करेगी, तो देश की अर्थव्यवस्था बहुत पीछे चली जाएगी. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की चुनौती में केंद्र सरकार को अवसर में बदल देने के आये मौके को चूकना नहीं चाहिए.
आज चाइना से तमाम मल्टीनेशनल कंपनियां नया लोकेशन तलाश रही है, भारत उनकी खोज के लिए विकल्प बन पाए, इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. बिजनेस शुरू करने की रैकिंग कॉरपोरेट टैक्स आदि अनुकूल वातावरण देते है, परंतु लालफीताशाही में लगाम लगाकर, श्रम कानून में सुधार कर, भारत एक नया विकल्प बन पाये, इसके लिए आधारभूत संरचना यानि इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना होगा, यह तभी आकर्षक निवेश स्थल बन पाएगा.
एशियन डेवलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ आदि से दीर्घकालीन कर्ज के उपाय करने चाहिए. सस्ते ब्याज दर पर विदेशी सावरेन बांड का रास्ता भी चुन सकते है, देश का फोरेक्स जमा और कर्ज डीजीपी रेसियो हमे इसके लिए अनुकूलता प्रदान करता है. घाटे के मुद्रीकरण का भी विकल्प है, जो हम एक बार सिर्फ एक बार कोरोनाजन्य आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए अपना सकते हैं. खर्च बढ़ाना ही कमजोर हो रही अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा. खर्च बढ़ाने के वित्तीय उपाय के लिए एक सही विकल्प का चयन करना ही चाहिए. खर्च में कमी करना अवसर गंवाना जैसा होगा. उन्होंने कहा कि दो उपाय गरीब आबादी को सीधे आर्थिक सहयोग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा खर्च करने के लिए आवश्यक धनराशि हमें जुटानी होगी. राज्यों को वित्तीय सहयोग देना होगा.