ब्यूरो चीफ,
रांची: केंद्र सरकार ने झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फॉरेस्ट एक्ट में जनजातीय समूहों की मांग पर संशोधन करने से इनकार कर दिया है.
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में कहा है कि फिलहाल इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में वन क्षेत्र में रहनेवाले जनजातियों की आजीविका को लेकर किये जानेवाले प्रावधानों में किसी तरह का संशोधन नहीं किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने संशोधन के प्रस्ताव पर विचार नहीं करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार वन क्षेत्र में रहनेवाले आदिवासियों और वनोत्पाद के जरिये अपनी आजीविका चलानेवाले समूहों के बारे में पूर्ववत स्थिति बहाल रखने की बातें कही हैं.
जनजातीय समूहों ने वन क्षेत्र से जलावन की लकड़ियां लाने की जगह अतिरिक्त विकल्प के लिए सुझाव दिये थे. ताकि वनों की इम्युनिटी को अधिक से अधिक बचा कर रखा जा सके.
केंद्र ने स्पष्ट किया है कि जनजातीय समुहों के अधिकारों में किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं किया जायेगा.
केंद्र ने ये भी कहा कि 11 आदिवासी बाहुल्य राज्यों से संशोधन की बात कही थी. अब जीरो ड्राफ्ट पर काम चल रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में वनों के विकास और उसे संरक्षित रखने का जिम्मा पूर्णतः आदिवासियों का होगा.
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. जलावन की लकड़ी, वनोत्पाद के संग्रहन, वनों के संरक्षित करने के मामले पर जनजातीय समूहों ने 123 पन्ने का ड्राफ्ट वन और पर्यावरण मंत्रालय को दिया था. इसमें सेस, निजी वनों के विकास और प्रोत्साहन की बातें थी. प्रकृति आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने की बातें भी इसमें कही गयी थी.