नई दिल्ली: झारखंड में वर्ष 2019-20 में नल कनेक्शन उपलब्ध कराने हेतु जल जीवन मिशन की योजना और कार्यान्वयन का कार्य संतोषजनक नहीं रहा व झारखंड 10.13 लाख परिवारों के लक्ष्य की तुलना में केवल केवल 98,000 (9.67:) परिवारों को ही नल कनेक्शन उपलब्ध करा पाया.
वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य को 267.69 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे और राज्य केवल 103.04 करोड़ रुपए का (46.36:) ही उपयोग कर सका, जिससे मार्च 2020 के अंत तक 179.21 करोड़ रुपए (53.64:) की अव्ययित राशि शेष रह गई.
इसके अलावा राज्य समतुल्य अंश की तुलना केवल 113.05 इस्तेमाल कर सका. आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में स्वच्छ जल की अनुपलब्धता एक गंभीर मामला है और इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
इस संबंध पहले जारी किए गए 28.65 करोड़ रुपये में से राज्य ने केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी वाले 6.82 करोड़ रुपए और राज्य के हिस्से से केवल 5.40 करोड़ रुपए का ही उपयोग किया.
जंहा एक ओर भारत सरकार ने झारखंड के ग्रामीणों के प्रति अपनी प्रतिबधता दिखते हुवे वर्ष 2020-21 के दौरान झारखंड के लिए आवंटित निधि को 267.69 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 572.24 करोड़ रुपए कर दिया, जो कि गत वर्ष की तुलना मैं दो गुनी से भी ज्यादा राशि है.
इस प्रकार, 179.21 करोड़ रुपए की प्रारंभिक शेष राशि और एनडब्ल्यूक्यूएसएम के तहत उपलब्ध 21.83 करोड़ रुपये के साथ इस वर्ष के 572.24 करोड़ रुपए के आवंटन सहित अब झारखंड के पास केंद्रीय निधि के रूप में 773.28 करोड़ रूपए उपलब्ध होंगे जो कि झारखंड राज्य के समतुल्य अंश को मिला कर कुल 1,605.31 करोड़ रुपए के धनराशि हो जाती है.
मंत्री को आशा है कि कम से कम इस बार झारखंड राज्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के इस कार्य में इसबार पीछे नही रहेगा.
भारत सरकार ने राज्य की ऋण लेने की सीमा में 3.5ः से 5ः की वृद्धि करके राज्य को समतुल्य अंश देने में सहायता भी की है. आशा है कि वर्ष 2024 तक हर घर को एफएचटीसी प्रदान करने की राज्य को प्रतिबद्धता रहेगी तथा राज्य कार्यान्वयन एजेंसी विभाग को समय पर केंद्रीय निधि के साथ-साथ राज्य का समतुल्य अंश भी उपलब्ध कराया पाएगा.
विश्व बैंक से सहायता प्राप्त बहु-राज्य आरडब्ल्यूएसएसपी-एलआईएस परियोजना के तहत, 2014-2020 के दौरान 317.09 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए थे जिनमें से 67.36 करोड़ रुपए का उपयोग किया जाना शेष है.
कार्यान्वयन के 6 साल बाद लक्ष्य की तुलना में वास्तविक प्रगति केवल 44.75ः है. ऐसे कमजोर कार्यान्वयन के कारण विश्व बैंक ने इस परियोजना को ‘आंशिक रूप से असफल’ अर्थात् ‘बहुत खराब परियोजना’ के रूप में मूल्यांकित किया है.
इस तरह की धीमी प्रगति के कारण 1 बिलियन अमरीकी डालर की मूल परियोजना लागत में कटौती करके उसे 400 मिलियन अमरीकी डालर की परियोजना बना दिया गया है.
वर्ष 2019-20 के दौरान एफएचटीसी की संख्या की दृष्टि से असंतोषजनक परिणाम और तदनुसार निधियों के कम उपयोग को देखते हुए राज्य में जलापूर्ति योजनाओं की आयोजना और कार्यान्वयन की समीक्षा की जानी आवश्यक है.
झारखंड में 15,229 गांवों में नल जल आपूर्ति प्रणालियों के होने की सूचना है. तथापि, इन गांवों में सभी परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. जिन परिवारों को नल कनेक्शन नहीं मिला है वे समाज के पिछड़े वर्गों, विशेषकर गरीब और अनुसूचित जाति के परिवारों के हैं.
यदि राज्य चाहे तो एक ‘अभियान मोड’ चला कर नल कनेक्शन उपलब्ध करा कर अगले 4-6 महीने में ही ‘हर घर जल गांव’ बना सकता है. इसके अतिरिक्त, 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान के रूप में झारखंड में पंचायती राज संस्थानों को 1,689 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं और इस राशि का 50ः भाग अनिवार्य रूप से जल आपूर्ति और स्वच्छता पर व्यय किया जाना है.
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गंदले जल के उपचार और पुर्नउपयोग के लिए धनराशि भी प्रदान की जाती है. ‘हर घर जल गांव’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समुचित योजना और धन जुटाने की आवश्यकता है.
सभी गांवों में सामुदायिक एकजुटता के साथ आईईसी अभियान चलाया जाय ताकि जल जीवन मिशन को सही मामले में एक जनांदोलन बनाया जा सके तथा ‘कोविड-19’ महामारी को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि लोग जल लाने के लिए सार्वजनिक नलों जल स्रोतों पर भीड़ न लगाएं.
इसलिए, यदि सभी गांवों में जल आपूर्ति का काम वरीयता के आधार पर हर घर तक नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए किया जाता है तो इससे स्थानीय समुदायों को सामाजिक दूरी का पालन करने में सहायता मिलेगी और इससे रोजगार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा.
मंत्री द्वारा जल जीवन मिशन की आयोजना और कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए अनुरोध किया व झारखंड को 100ः एफएचटीसी वाला राज्य यानी ‘हर घर जल राज्य’ बनाने के लिए हर तरह की सहायता प्रदान करने का विश्वास भी दिलाया और उनसे इस संबंध में शीघ्र ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा भी करने की बचन बधत्ता जाहिर की.