देहरादून/नैनीतालः उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट ऐक्ट पारित किया जिस पर केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के पुजारी नाराज हो गए हैं.
दरअसल, इस ऐक्ट के तहत सरकार को चारों धामों समेत करीब 50 मंदिरों पर अधिकार मिल जाता है. यहां तक की पुजारियों ने श्रद्धालुओं को यह चेतावनी भी दे दी है कि वे इन धर्मस्थलों पर न जाएं क्योंकि यहां 2013 से भी भयानक त्रासदी हो सकती है.
करीब सात साल पहले भीषण बाढ़ ने इस राज्य को तहस-नहस कर दिया था. गंगोत्री मंदिर के मुख्य पुजारी शिव प्रकाश ने मंगलवार को उत्तरकाशी में बताया, ‘इस कानून से मंदिरों का अधिकार लेकर राज्य सरकार धर्म और लोगों के विश्वास के साथ खेल रही है.
अगर वे कानून को खत्म नहीं करते हैं तो 2013 की बाढ़ से भी ज्यादा भीषण कुछ हो जाएगा. शिव प्रकाश इससे पहले गुजरात, राजस्थान और दिल्ली में लोगों से इस साल विरोध के तौर पर चार धाम की यात्रा न करने के लिए कह चुके हैं.
अब वह असम जाने वाले हैं. गंगोत्री धाम के एक और पुजारी राजेश सेमवाल ने बताया, ‘अगर राज्य ने कानून वापस नहीं लिया तो पुजारी मंदिर के कर्मकांडों का बहिष्कार करेंगे और श्रद्धालु पूजा नहीं कर सकेंगे और उनकी यात्रा अधूरी ही रहेगी.
इस कानून के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामीपहले ही उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं. उन्होंने कहा है, ‘चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की डिविजन बेंच ने सरकार को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
उन्होंने ऐक्ट पर स्टे लगाने की मांग भी कोर्ट के सामने रखी. सरकार की ओर से ऐडवोकेट जनरल एसएन बाबलुकर और चीफ स्टैंडिंग काउंसिल परेश त्रिपाठी ने कानून का बचाव करते हुए कहा कि देश के संविधान का पालन करते हुए यह कानून पास किया है.
उन्होंने इसके खिलाफ दाखिल की गई याचिका को राजनीतिक स्टंट करार दिया है और इसे रद्द करने की मांग की है