रांची: झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन ने वादी निकोलस कुजूर के द्वारा 40 कोर्ट भवन एवं न्याय सदन का उदघाटन कराया. मौके पर मुख्य न्यायधीश ने कहा कि 40 कोर्ट भवन झारखंड के एक मॉडल कोट के रूप में निर्मित किया गया है, जो वाद के पक्षकारों, महिलाओं और बच्चों एवं न्याय निर्णयन से जुड़े सभी व्यक्तियों का ध्यान रखा गया है. उन्होंने त्वरित न्याय की संकल्पना पर भी जोर देते हुए कहा कि बार एवं बेंच के सहयोग से मामलों के निस्तारण में तेजी लायी जायेगी. उन्होंने न्यायालय परिसर को साफ सुथरा रखने में सभी की सहभागिता पर जोर दिया. मुख्य न्यायधीश ने कहा कि न्याय की अविरल धारा बहे तथा यह ईमारत नई गाथा लिखे. समस्त कोटों में वी.सी. की व्यवस्था की जायेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका के विकास के लिए बुनियादी ढांचा, नवीनतम उपकरणों तकनीकों की आवश्यकताओं को देखते हुए उक्त 40 कोर्ट भवन का निर्माण किया गया है. यह कानून का शासन व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए एक प्रेरणादायक है. यह 40 कोर्ट भवन वह मचान है, जिस पर हमारा न्याय वितरण तंत्र पनपता है, जो प्रणाली के कुशल और प्रभावी विकास में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है. यह विशाल संरचना कानूनी प्रणाली के लिए एक रीढ़ साबित होगी. आनेवाली पीढ़ियों को बहुत प्रभावित करेगी. अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित, यह मुकदमेबाजों और न्यायाधीशों के लिए एक अद्भूत और आरामदायक काम के माहौल के लिए शीर्ष पायदान सेवाओं को वितरित करने के लिए पूरिपूर्ण भवन के रूप में उभर कर सामने आया है. उक्त भवन में एक पोक्सो अदालत है, जो विशेष रूप से किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन और बच्चों को सुरक्षा संबंधी अपराधों से सुरक्षा के लिए एक बच्चे के भावनाओं को देखते हुए डिजाइन किया गया है.
इस अवसर पर न्यायाधीश सह झालसा के अध्यक्ष एचसी मिश्रा ने कहा कि 40 कोर्ट भवन में प्रदत्त सुविधाओं से न्यायिक कार्यों में तेजी आयेगी. यह भवन सभी सुविधाओं से लैस है, जिसके कारण वादी को त्वरित न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि 40 कोर्ट भवन व्यावहार न्यायालय रांची के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि सिविल कोर्ट रांची में 40 कोर्ट भवन का उदघाटन मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में वादी निकोलस कुजूर के द्वारा किया जा रहा है. उक्त भवन में ही मध्यस्थता के लिए 11 मध्यस्थता कमरा एवं एक काउन्सेलिंग कमरा बनया गया है. 40 कोर्ट भवन लगभग 1,05,000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है.
इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के द्वारा कुल 35 लोगों को लगभग 1.5 रुपये से भी ज्यादा राशि का मुआवजे के रूप में पीड़ितों को दिया गया, जिनमें हत्या से संबंधित मामले, मोटर दुर्घटना दवा से संबंधित मामले तथा भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले प्रमुख थे.
उद्घाटन मौके पर न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह, न्यायमूर्ति सुजित नारायण प्रसाद, न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा, न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक, न्यायमूर्ति राजेश शंकर, न्यायमूर्ति बीबी मंगलमूर्ति, न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी, न्यायमूर्ति राजेश कुमार, न्यायमूर्ति कैलाश प्रसाद देव, न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी, न्यायमूर्ति दीपक रौशन आदि उपस्थित थे.
कोर्ट भवन की विशेषताएं :-
- 20 पूर्ण विकसित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा के साथ एक संवेदनशील गवाह कमरे के साथ आदर्श पोक्सो कोर्ट
- पीपी/एपीपी के लिए आदर्श वेटिंग रूम
- कोर्ट रूम के अंदर और बाहर केस डिस्पले स्क्रीन
- मामला सूचना प्रणाली कनेक्टिविटी/एन.जे.डी.जी
- कैमरे के माध्यम से कार्यवाही की सुविधा
- 270 लोगों के बैठने की सुविधा के साथ कॉन्फ्रेन्स हॉल
- सीसीटीवी कैमरे की सुविधा
- 39 कोर्ट रूम की सुविधा
- चार पाहिया एवं दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा
- चार लिफ्ट्स
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के द्वारा संचालित और प्रबंधित हेल्प डेस्क
- केंद्रीकृत और पूरी तरह से कम्प्यूटर आधारित फाइलिंग सेक्शन
- ऑप्टिमाईजर के साथ सुसज्जित रिकार्ड रूम
- पी.पी. और ए.पी.पी. के लिए समर्पित खुला स्थान
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची और 13 मध्यस्थता केंद्र, 2 काउन्सेलिंग भवन और एक फ्रन्ट ऑफिस
- महिला के लिए अलग प्रतीक्षा रूम
- दो कुटूम्ब न्यायालय
- वादियो के लिए प्रतीक्षा केंद्र
- स्टेनो केबिन
- प्रत्येक मंजिल पर स्त्री और पुरूष के लिए अलग-अलग लावाटोरी
- वाहन ड्राईव करने का रास्ता
- चार सीढ़ी
- अग्निशमन प्रणाली
- मुख्य भवन के साथ जोड़ने वाला ब्रीज
- विकलांग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग रैंप
- लाईब्रेरी
- लाउन्ज