जगदम्बा प्रसाद शुक्ल
प्रयागराज : 3 जुलाई को महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में एक चर्चित गजलकारा डा. नीलिमा मिश्रा पर केन्द्रित एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा में नगर की अनेक वरिष्ठ महिला साहित्यकारों ने भाग लिया. गजलकारा महक जौनपुरी कहती है कि नीलिमा ग़ज़ल की सिद्धस्त शायरा हैं हालांकि दोहे, कुण्डलिया, छंद, गीत आदि विधाओं में उनका लेखन बेहद प्रभावी रहता है. रुमानियत पर शेर कहने में भी उनकी कोई टक्कर नहीं. देखिए उनका एक मतला :
परदे में सनम जो बैठा है कैसे उसका दीदार करूं
इक सूरत मेरे दिल में है मैं कैसे ऑंखें चार करूं
डा. सरोज सिंह कहती है कि डा नीलिमा मिश्रा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न अगणित भावों से परिपूर्ण संवेदनशील ,सजग रचनाकार हैं।वरिष्ठ साहित्यकार उमा सहाय कहती है कि नीलिमा के जेहन में उर्दू शब्दों का अच्छा भंडार है और इन्होंने उर्दू लफ्जों को अपनी ग़ज़लों की पंक्तियों में माणिक मोतियों की तरह पिरोया है। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेमाराय कहती है कि नीलिमा में मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक सरोकारों को सशक्त लेखनी मे निबद्ध करके अभिव्यक्त करने की अनुपम क्षमता है।डा. नीलिमा मिश्रा कलाकारों की नगरी प्रयागराज की अनुपम निधि हैं ।
शहर की वरिष्ठ गजलकारा सुमन दुग्गल कहती है कि डाॅ नीलिमा मिश्रा साहिबा उम्दा ग़ज़लकारा के रूप में जानी जाती हैं। अपने गीतों और छंदबद्ध सृजन द्वारा हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रही हैं।
मानवीय संवेदनाओं को निर्धारित शिल्प में ढाल कर इन्होने उन्हें ख़ूबसूरत बिम्बों के साथ अभिव्यक्ति दी है। लयात्मक ग़ज़लें, छंद गीत इस के परिचायक हैं। ये शेर इस बात को स्पष्ट करेगा
कई फाँके बिता कर मर गया वो रास्ते में ही
गरीबी किस क़दर मजबूर और लाचार होती है
आगे वह कहती है कि
डाॅ नीलिमा मिश्रा साहिबा की क़लम इंसानी जीवन के हर पहलू को चित्रित करती है। परंपरागत विषय प्रेम, विरह के अतिरिक्त इन्होंने सामाजिक, राष्ट्रीय और समसामयिक विषयों पर भी लेखनी उठाई है। वरिष्ठ लेखिका मीरा सिन्हा कहती है कि उनकी रचना प्रक्रिया उनके ही शब्दोँ मे ‘शब्द की सीमायें लेकिन भाव है अगणित हमारे” ‘उनका भविष्य बहुत उज्जवल है प्रयागराज की वरिष्ठ कवयित्री देवयानी कहती है कि कवयित्री ने हिंदी और उर्दू भाषा को बहुत ही समझ के साथ कविता मे पिरोया।जहां इनको मिलाया उसका भी प्रयोग बहुत सुंदर रहा।अर्थ पूर्ण बंदिश पाठक को विभोर करता है
वरिष्ठ कवयित्री जया मोहन श्रीवास्तव कहती है कि जीवन के हर पहलुओं को उन्होंने छुआ है।जब नीलिमा सस्वर पाठ करती है तो श्रोता मन्त्र मुग्ध हो स्वर लहरी में खो जाता है। वरिष्ठ कवयित्री कविता उपाध्याय कहती है कि
नीलिमा मुशायरों की जान हैं
उनकी कविताओं में सूफियाना असर तो दिखता ही है कहन का अंदाज भी निराला है जिससे श्रोता झूमने पर मजबूर हो जाता है ऋतन्धरा मिश्रा कहती है कि डॉ नीलिमा की ग़ज़लें दिल से रूह में उतर जाती है और सात सुरो के स्वर गजल, छंद, दोहे, गीत, मुक्तक मे सुरों का स्वरूप लय मे दिखता है डा. पूर्णिमा मालवीय कहती है सुपरिचित हस्ताक्षर काव्य गजल कहानी में अपनी पैठ बनाने वाली, कुशल संचालक, मितभाषी डॉ नीलिमा मिश्रा से साहित्य जगत अनभिज्ञ नहीं है डा अर्चना पाण्डेय का कहना है कि सामाजिक संबंधों एवं मानवमूल्यों के प्रति सजगता एवं उत्तरदायित्व, नारी के अस्तित्व की चिंता आपकी रचनाओं में सहज ही निरूपित हैं. अंत में रचना सक्सेना ने उनकी उत्कृष्ट लेखनी के विषय में कहा कि साहित्य और शिक्षा के जगत से ताल्लुक रखने वाली गजलकारा नीलिमा मिश्रा साहित्य जगत की एक चमकता सितारा है जिन्होने जीवन के विभिन्न रंगों, मानवीय संवेदनाओं, समाज की विसंगतियों पर अपनी कलम उठाई। इस परिचर्चा की अध्यक्षता महक जौनपुरी ने की.