रांची:- मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राज्य कर्मियों की प्रोन्नति और प्रोन्नत पद पर पदस्थापन संबंधी आदेश जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि झारखण्ड सेवा संहिता के नियम-58 तथा झारखण्ड वित्त नियमावली के नियम-74 में यह प्रावधानित है कि सरकारी सेवक अपने पद से सम्बद्ध वेतन एवं भत्ते उस तिथि से लेना प्रारम्भ करेगा, जिस तिथि से यह उस पद का कार्यभार ग्रहण करेगा. अतः स्पष्ट है कि प्रोन्नत पद के वेतनमान का वित्तीय लाभ भी प्रोन्नत पद पर पदस्थापन के उपरांत पदग्रहण की तिथि से प्राप्त होगा.
सरकार के समक्ष ऐसे दृष्टांत आये हैं, जिसमें प्रोन्नति समिति की अनुशंसा पर सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात प्रोन्नति से संबंधित आदेश निर्गत कर दिया जा रहा है. इस प्रकार का आदेश निर्गत करना निरर्थक है, क्योंकि प्रोन्नत पद पर पदस्थापन के फलस्वरूप योगदान किये बिना प्रोन्नति का वित्तीय लाभ प्राप्त नहीं हो सकता है. प्रोन्नति से संबंधित आदेश तथा प्रोन्नत पद पर पदस्थापन का आदेश अलग-अलग समय पर निर्गत होने से यह भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि वित्तीय लाभ किस तिथि से देय होगा. अतः यह आवश्यक है कि प्रोन्नति तथा प्रोन्नत पद पर पदस्थापन का आदेश एक साथ निर्गत हो ताकि भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो तथा संबंधित पदाधिकारी/ कर्मी को वित्तीय लाभ बिना किसी विलंब के प्राप्त हो सके.
यह भी देखा जा रहा है कि प्रोन्नत पद पर पदस्थापन में विलंब होने से इस अवधि में कई पदाधिकारी/कर्मी सेवानिवृत्त हो जाते है, जिससे उन्हें प्रोन्नत पद का वित्तीय लाभ नहीं मिलता है तथा सेवानिवृत्ति लाभों में उन्हें भारी वित्तीय क्षति का सामना करना पड़ता है. अतः यह भी आवश्यक है कि प्रोन्नत पद पर पदस्थापन से संबंधित आदेश निर्गत करने में अनावश्यक विलंब नहीं हो. उपरोक्त के आलोक में अनुरोध है कि प्रोन्नति समिति की अनुशंसा तथा प्रोन्नत पद पर पदस्थापन के प्रस्ताव पर सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन प्राप्त कर आदेश एक साथ बिना किसी विलंब के निर्गत किया जाय.