पटना: कोरोना संकट के कारण सम्पूर्ण देश कई हफ्तों से लॉकडाउन है. जहां देश के सभी स्कूल व कॉलेज बंद पडे हैं. तो वहीं विद्यालय प्रबंधन ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए ऑनलाइन पढाई शुरू करवा दी है. जिससे शिक्षकों के साथ साथ बच्चे भी रूचि ले रहे हैं. बच्चों को एप यूट्यूब वॉट्सैफ के माध्यम से कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी शिक्षकों के द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से दी जा रही है परंतु किताबों के अभाव में न तो बच्चों के संशय का समाधान हो पाता है न ही बच्चें फायदे से होमवर्क कर पा रहे है. विधालय प्रबंधन के द्वारा नए सत्र मे ऑनलाइन पढाई तो शुरू करवा दी गयी और कुछ प्रबंधनों के द्वारा विद्यालय में पुस्तक तो उपलब्ध करवा दिया गया व कुछ विद्यालय के किताबें दुकानों पर ही मिलती है. लेकिन जो अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए दुसरे जिले में बच्चों को पढ़ाते हैं. उन दूर बैठे अभिभावकों के सामने लॉकडाउन की स्थिति में विद्यालय तक पहुंच कर किताबों को ले पाना मिल का पत्थर साबित हो रहा है.
ऐसे में प्रशासन द्वारा आवश्यक वस्तुओं की दुकानें को खोलने में तो ढील दि गई लेकिन बच्चों के भविष्य से जुड़े इस समस्या पर शायद प्रशासन का ध्यान ही नहीं जा पा रहा है. मंगलवार ट्रांसपोर्ट सेवा पुरी तरह से चालू ना हो पाने के कारण बहुत सारी जरूरत की किताबें बच्चे तक नहीं पहुंच पा रही है. किताबों कि दुकानों पर ताले जड़े रहते है. अब जब लगभग सभी संस्थानों ने ऑनलाइन पढाई शुरू कर दि तो बिना किताबों के बच्चो को पढने और समझने में कठिनाई होती है और किताबों के बिना ऑनलाइन पढाई का पुरा लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं हॉली फैमिली विधालय मे बच्चो को पढाने वाले अभिभावक प्रकाश, राकेश कुमार संत पॉल विधालय में पढ़ाने वाले अभिभावक विकास सिंह ने बताया की ऑनलाइन पढाई की व्यवस्था बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए तो सही है लेकिन किताबों को पढें बिना व्यापक रूप से विषयों का अध्ययन संभव नहीं है.
ऑनलाइन पढाई की व्यवस्था में बच्चे को तो कम लेकिन अभिभावकों को काफी परेशानी इस समय किताबें ढूंढने मे उठानी पढती है.