पेइचिंगः खुद को पाकिस्तान का दोस्त बतानेवाले चीन में मुस्लिमों पर सख्ती बढ़ती ही जा रही. पहले मस्जिदों को तोड़ा फिर नमाज पर सख्ती ओर अब मुस्लिम होने पर कैद. ये सभी जुल्म चीन में उन लोगों पर किए जा रहें हैं जो खुद को मुस्लिम मान कर अपने धर्म के अनुरुप रहना चाहते हैं.उइगर मुस्लिम हमेशा से चीन की सरकार और सेना के निशाने पर रहे हैं.
चीन का मानना है कि उइगर मुस्लिम चीन के लिए खतरा हैं. चीन ने इनपर दाढ़ी बढ़ाने और नकाब पहनने के कारण भी ऐक्शन लिया है और उन्हें अज्ञात जगह पर हिरासत में भेज दिया गया है. हालिया जानकारी में उइगर मुसलमानों को ऐसे कारणों से भी हिरासत में लिया गया है जो उनके रोजमर्रा का काम है. खास बात ये है कि चीन इस मसले पर टिप्पणी तक से बचता रहा है.
गौर करने वाली बात है कि चीन के सुदूर पश्चिम में उइगर इमाम खेती करने वाले अपने समुदाय की आधारशिला रहे हैं. शुक्रवार को वह उपदेश देते थे कि इस्लाम शांति को मानने वाला धर्म है. रविवार को वह हर्बल दवाइयों से लोगों का मुफ्त में इलाज करते थे. सर्दियों में वह गरीबों के लिए कोयला खरीदकर उनकी मदद करते थे.
लेकिन 3 साल पहले लाखों उइगर मुस्लिम चीनी सरकार के निशाने पर आ गए थे और उन्हें शिविरों में कैद कर दिया गया था. सबसे बड़े उइगर इमाम को भी चीन में रह रहे उनके तीनों बेटों के साथ कैद कर दिया गया. अब, एक नए डेटाबेस से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. उनसे एमर, उनके तीनों बेटों और सैकड़ों दूसरे उइगरों को हिरासत में लिए जाने का कारण पता चलता है.
311 लोगों की नजरबंदी की जानकारी मिली है. इन लोगों के रिश्तेदार विदेश में हैं और उनके 2,000 से ज्यादा रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों के बारे में सूचनाएं इसमें लिस्टेड हैं. हर एंट्री में हिरासत में लिए गए व्यक्ति का नाम, अड्रेस, नैशनल आईडेंटिटी नंबर, हिरासत की तारीख और लोकेशन शामिल हैं. इसके अलावा उनके परिवार, धर्म और पड़ोसी का बैकग्राउंड, हिरासत में लेने की वजह और उन्हें रिहा किया जाना है या नहीं, यह सब भी शामिल है.
पिछले एक साल में जारी हुए इन डॉक्युमेंट्स में यह नहीं बताया गया है कि किस सरकारी विभाग ने और क्यों इन दस्तावेजों को तैयार किया गया है. अथॉरिटीज का दावा है, डेटाबेस में इस बात पर जोर दिया गया है कि चीनी सरकार द्वारा सिर्फ राजनीतिक उग्रवाद ही नहीं बल्कि धर्म भी हिरासत में लेने का मुख्य कारण रहा. लेकिन चौंकाने वाली बात है कि रोजमर्रा की साधारण चीजें जैसे प्रार्थना, मस्जिद में जाना, दाढ़ी बढ़ाना और नकाब पहनना भी हिरासत के कारणों में शामिल है.
कैंपों में अधिकतर ऐसे लोग हिरासत में हैं जो अपने रिश्तेदारों के साथ हैं. एमर की तरह ही इन लोगों के पूरे परिवार को शिविरों में कैद कर लिया गया है. बता दें परिवार के साथ कैद किए लोगों को ट्रैक किया जाता है और उन्हें अलग-अलग नाम की कैटिगरी में रखा जाता है. जैसे इन परिवारों को ‘विश्वसनीय’ या ‘अविश्वसनीय’ का दर्जा दिया गया है. उनके व्यवहार को ‘साधारण’ या ‘अच्छे’, परिवारों में धार्मिक वातावरण ‘लाइट’ और ‘हैवी’ जैसे ग्रेड में बांटा गया है.
डेटाबेस में यह बताया गया है कि हिरासत में रखे गए हर व्यक्ति के कितने रिश्तेदार जेल में हैं या ‘ट्रेनिंग सेंटर’ भेजे गए हैं. वहीं जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग से पूछा गया कि एक खास धर्म के लोगों और उनके परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है तो उन्होंने कहा, ‘इस तरह की बकवास टिप्पणी करने लायक नहीं है.’ बता दें इससे पहले चीनी सरकार ने कहा था कि ये डिटेंशन सेंटर (शिविर) वॉलंटरी जॉब ट्रेनिंग के लिए हैं और इनमें धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है.
उइगर समुदाय में सूत्रों ने इस डेटाबेस के लीक से पहले भी पिछले साल नवंबर में कुछ जानकारी सामने आई थी जिसमें पता चला था कि मास डिटेंशन सिस्टम आखिर किस तरह काम करता है. इंटरनैशनल कंजोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स द्वारा हासिल किए गए ब्लूप्रिंट से पता चलता है कि ये सेंटर गुपचुप तरीके से चलाए जा रहे जबरन विचारधारा और व्यवहार को बदलने वाले री-ऐजुकेशन कैंप हैं.
नए दस्तावेज, निर्वासित उइगर समुदाय के सूत्रों से हासिल हुए हैं. इनमें सबसे ताजा आंकड़े मार्च, 2019 के हैं. हिरासत में लिए गए लिस्टेड लोग काराकैक्स काउंटी से हैं. शिनझियांग की सीमा पर तकलामाकन डेजर्ट में करीब 97 प्रतिशत से ज्यादा आबादी उइगर लोगों की है. इस लिस्ट को काराकैक्स के पूर्व निवासियों के इंटरव्यू, चाइनीज आइडेंटिटी वेरिफिकेशन टूल और एपी द्वारा देखे गए दूसरे लिस्ट व डॉक्युमेंट्स के आधार पर तैयार किया गया है.
चीन के शिनझियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम को हर पल ‘कैद’ में जीने को मजबूर हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में करीब 10 लाख उइगर मुसलमानों को कैद करके डिटेंशन कैंपों में रखा गया है. डिटेंशन कैंपों के बाहर के उइगर मुसलमानों के भी फोन, लोकेशन, फोन डेटा, आईकार्ड और गाड़ियों की ट्रैकिंग की जाती है.उनकी धार्मिक आजादी छीन ली गई है. बड़ी तादाद में मस्जिदों को जमींदोज कर दिया गया है जिनकी सैटलाइट तस्वीरों को पूरी दुनिया ने देखा है.
कुरान पढ़ने, दाढ़ी बढ़ाने, नमाज पढ़ने, बच्चों के इस्लामिक नाम तक रखने पर रोक लगाई जा रही है. बड़ी तादाद में उइगर युवाओं को डिटेंशन कैंपों में रखा गया है.नाजियों के ‘यातना गृहों’ जैसे इन डिटेंशन कैंपों में पर अत्याचार होते हैं, महिलाओं की जबरन नसबंदी कर दी जाती है. बताते चलें कि उइगर मध्य और पूर्वी एशिया के मूल रूप से तुर्क होते हैं .
चीन के शिनझियांग प्रांत में लगभग 11 मिलियन उइगर मुसलमान हैं. ज्यादातर उइगर इस्लाम धर्म को मानते हैं और चीन में यह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है. शिनझियांग प्रांत में उइगर लोगों की संख्या 44% है और इनमें से लगभग 41% उइगर इस्लाम धर्म मानते हैं. गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पड़ोसी चीन में उइगर मुसलमानों के अत्याचार पर लंबी खामोशी ओढ़ रखी है.
उनको पीएम बने भी 17 महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक यही कहते रहे हैं कि चीन के शिनझियांग प्रांत में मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है, उसका उन्हें कुछ पता नहीं है.
स्विट्जरलैंड के शहर दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक सम्मेलन से इतर एक इंटरव्यू के दौरान जब इमरान खान से पूछा गया था कि शिनझियांग में चीनी मुसलमानों के साथ जो हो रहा है, क्या आपको उसकी थोड़ी भी चिंता है? इस पर इमरान ने जवाब दिया था कि मुझे इसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है. अगर मुझे अच्छी तरह पता चला तो मैं चीन से प्राइवेट में बात करूंगा.