चीन: कोरोना वायरस (COVID-19) के रोगियों का इलाज करने वाले अस्पताल के वार्डों से हवा के नमूनों की जांच करने वाले एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वायरस 13 फीट (चार मीटर) की ऊंंचाई तक हवा में रह सकता है. यह रिजल्ट बहुत ही चौकाने वाला था. ऐसा इएलिये क्योंकि इस शोध के पहले विशेषज्ञ यही मान रहे थे की कोरोना हवा से नहीं फैलता है.
चीन के वैज्ञानिकों ने दवा किया है कि कोरोना के हॉटस्पॉट में भी वायरस के अनुवांशिक तत्व मिले हैं हालांकि अभी तक यह तय नहीं हो पाया है की इससे संक्रमण फैलता है या नहीं.
चीन में कोरोना वायरस का केंद्र रहे वुहान के कुछ सार्वजनिक जगहों व 2 अस्पतालों का अध्ययन करने के बाद चीनी वैज्ञानिकों ने एक और डरावना दावा किया है. चीन के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कोरोना के हॉटस्पॉट की हवा में भी वायरस के अनुवांशिक तत्व मिले हैं हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि इससे संक्रमण फैलता है या नहीं.
इसके साथ ही एयरोसोल ट्रांसमिशन का भी दावा किया है. इसमें वायरस की बूंदें इतनी महीन होती हैं कि वे दिखती नहीं और कई घंटों तक हवा में रहती हैं. यह खांसी या छींक के ड्रॉपलेट्स के ठीक उलट है जो सेकंड्स के भीतर जमीन पर गिर जाती हैं.
वुहान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 31 जगहों से 40 नमूने लिए थे. शोध में यह पाया गया कि उन जगहों पर जहां भीड़भाड़ अधिक होती है वहां वायरस के अधिक अंश रहते हैं जैसे अस्पताल के बरामदे और बाहर. शोधकर्ताओं का मानना है कि सरकारों को हॉटस्पॉट के सैनिटाइजेशन, बेहतर वेंटिलेशन का विशेष ध्यान रखना चाहिए और भीड़भाड़ से बचना चाहिए. अब तक सार्स-कोव-2 आरएनए सिर्फ संक्रमित के संपर्क या उसके छींकने से निकले रोगाणुओं के श्वास में प्रवेश से फैलने की जानकारी थी. टीम ने फरवरी व मार्च में दो अस्पतालों के बाहर से हवा के नमूने लिए थे जिनमें पाया गया कि हवा की आवाजाही वाले स्थानों में कम व बिना वेंटिलेशन वाली जगह की हवा में अधिक वायरस मिले.