पटना: बिहार में अब कोरोना जांच में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद नीतीश सरकार की भद्द पिट गई है. मामला राज्यसभा में भी उठा और सभापति ने मामले को गंभीर बता केंद्र सरकार को जांच कराने की सलाह दे दी. ऐसे में भद्द पिटने के बाद नीतीश सरकार ने कार्रवाइ किया और लाज बचाने के लिए सिविल सर्जन समेत कई अधिकारियों को नाप दिया.
तेजस्वी यादव ने कहा कि हम जमीनी लोग हैं, जनता से सीधा फीडबैक लेते हैं. इसलिए महीनों पूर्व कोरोना घोटाले का अंदेशा होने पर जांच की मांग रखी थी. मुख्यमंत्री ने सदन में आश्वस्त भी किया, लेकिन आज तक कमेटी नहीं बनाई क्योंकि चुनाव पूर्व अरबों का बंदरबांट करना था.
मुख्यमंत्री सदन में भी झूठ बोलने से नहीं कतराते? सदन को गुमराह किया? इसके साथ ही देश में चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दूसरा हमला किया है.
उन्होंने राज्य सरकार के रवैये पर भी सवाल खडा किया है. उन्होंने आज ट्वीट करके कहा है कि जिस सरकार के 60 फीसद मंत्री दागी हैं, उसके मुखिया को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि ‘बिहार के महान कुर्सीवादी मुख्यमंत्री को पता ही नहीं है कि उनके मंत्रिमंडल में शामिल 18 मंत्रियों के खिलाफ हत्या, लूट, भ्रष्टाचार, यौन शोषण, आर्म्स एक्ट, चोरी, जालसाजी, धोखाधडी जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है? क्या इतने भोले-भाले मुख्यमंत्री को कुर्सी पर बने रहने का नैतिक अधिकार है?
तेजस्वी ने तंज करते हुए पूछा- क्या इतने भोले-भाले मुख्यमंत्री को कुर्सी पर बने रहने का नैतिक अधिकार है? तेजस्वी ने दिल्ली यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री की मीडिया से बातचीत का वीडियो भी ट्वीट किया है. उन्होंने कहा है कि मीडिया के दागी मंत्रियों से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. अगर ऐसी बात है तो हमें भी बताइगा.
यहां उल्लेखनीय है कि कोरोना जांच के फर्जीवाड़े में शुक्रवार की शाम जमुई के सिविल सर्जन सहित 4 को निलंबित कर दिया गया है. मामला उजागर होने के बाद जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी. जांच में फर्जीवाडे का खुलासा हुआ और शुक्रवार को दोपहर जिलाधिकारी ने रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेज दिया था.
प्रधान सचिव ने देर शाम इस गंभीर मामले में कार्रवाई कर दी है. प्रधान सचिव के आदेश पर जमुई के सिविल सर्जन डॉ विजेंद्र सत्यार्थी और प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ बिमल कुमार के साथ बरहट पीएचसी के प्रभारी डॉ ए के मंडल, सिकंदरा पीएचसी के प्रभारी डॉ साजिद हुसेन को निलंबित किया गया है.
वहीं, सामाजिक संस्था एडीआर ने बिहार के मंत्रियों को लेकर आंकेड़े जारी किये हैं. एडीआर ने दावा किया कि नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल 18 मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. बिहार सरकार में शामिल 14 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक आरोपों हैं.
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के 57 प्रतिशत मंत्री, जदयू के 27 प्रतिशत मंत्री आपराधिक मामलों के आरोपी हैं. इसके अलावा वीआईपी पार्टी के एकमात्र मंत्री मुकेश सहनी और हम के संतोष कुमार सुमन पर भी आपराधिक मामला दर्ज है.
इसको लेकर पत्रकारों ने नीतीश कुमार से सवाल पूछा था कि उनके 18 मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा है. इस सवाल पर नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा था कि ‘आपलोग न देखियेगा किस पर क्या मामला है. पूरा देखिये. हमने नहीं देखा है. अगर ऐसी बात होगी तो हमको भी जरा बताइयेगा. हमको भी जानकारी दीजियेगा. ऐसा तो नहीं लग रहा है कोई.’