रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव व विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के 25 करोड़ तक का टेंडर में स्थानीय निवासी के भाग लेने के फैसले का स्वागत किया है और इसे अत्यंत ही सराहनीय कदम व अच्छी पहल बताया है.
उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें राज्य के स्थानीय निवासी को रोजगार देने और रोजगार से जोड़ने की प्रबल चिंता है. डॉ. लंबोदर महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह जानना चाहा है कि आखिर 25 करोड़ के टेंडर में भाग कौन लेगा. यह भी उन्हें स्पष्ट कर राज्य की जनता को बताना चाहिए की झारखंड का स्थानीय निवासी कौन है.
ऐसा इसलिए कि उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनाव पूर्व अपने घोषणा पत्र में शासन में आने पर 1932 का खतियान लागू करने की बात कही है और इसे पूरे चुनाव में जोरदार तरीके से उठाकर स्थानीय निवासी को अपने पक्ष में गोल बंद किया है. इसके पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 1985 को कट ऑफ डेट मानते हुए स्थानीयता को परिभाषित कर, इसे लागू भी कर दिया है. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे नहीं मानने की बात भी कही थी. तब कांग्रेस भी इस विषय पर चुप्पी साध कर रघुवर दास सरकार के तय स्थानीय नीति पर मुहर लगा दी है जो वर्तमान में हेमंत सोरेन के अगुवाई में चल रही सरकार में भागीदार भी बने हुए हैं.
साथ ही एक और दल राजद सरकार में रहकर सत्ता का स्वाद चख रहा है, जिसके नेता बराबर यह कहते रहे हैं कि झारखंड मेरी लाश पर बनेगा. अब राज्य भर के निवासी इस असमंजस और भ्रम में हैं की तत्कालीन रघुवर दास सरकार का फॉर्मूला चलेगा या 1932 के खतियान को आधार बनाया जाएगा.
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विनम्र आग्रह किया है कि 25 करोड़ का टेंडर जारी करने के पूर्व झारखंडी जन भावनाओं का ध्यान रखते हुए स्थानीयता को लेकर जो दुविधा और परस्पर मतभिन्नता बनी हुई है, उसे दूर करें. उन्होंने कहा कि राज्य भर के आदिवासी व मूलवासियों के बीच पुनः 1932 का खतियान लागू करने की चर्चा जोरों पर है.